लखनऊ। एक देश-एक टैक्स की बढ़ती मांग के बीच जीएसटी की 45वीं बैठक आज लखनऊ में हुई। इस मीटिंग में सबकी निगाहें पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के फैसले पर थी लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल से जीएसटी हटाने से इंकार कर दिया है।
वित्तमंत्री ने बताया कि जीएसटी काउंसिल को लगा कि यह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्य इस विचार से सहमत हैं।
हालांकि, तेल विपणन कंपनियों को डीजल में मिलाने के लिए आपूर्ति की जाने वाली बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। विशेष विकलांग व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों के लिए रेट्रो फिटमेंट किट पर जीएसटी दरों को भी घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।
मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कोरोना से जुड़ी दवाओं पर जीएसटी छूट जारी रहेगी। ये छूट 31 दिसंबर 2021 तक के लिए है। जीवन-रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी छूट का फैसला लिया गया है। मेडिकल इक्विपमेंट्स पर जीएसटी छूट नहीं दी गई है।
कैंसर की दवा पर जीएसटी 12 से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया
वित्तमंत्री ने बताया कि जीएसटी परिषद ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं पर टैक्स को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। जीएसटी परिषद ने माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिए राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले राष्ट्रीय परमिट शुल्क से छूट दी है, लेकिन कलम पर 18 प्रतिशत की एकल दर से जीएसटी लगेगा।
फूड एप पर अतिरिक्त टैक्स नहीं
निर्मला सीतारमण ने कहा कि फूड पर अतिरिक्त टैक्स लगाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है, यानी ये एप अभी उतना ही टैक्स लेंगे जितना रेस्टोरेंट कारोबार पर लगता है। वित्तमंत्री ने बताया कि कोरोना की दवा पर 31 दिसंबर 2021 तक छूट मिलती रहेगी. यह कोरोना काल में आम लोगों के लिए बहुत बड़ी खबर है।
अगले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है। इसलिए माना जा रहा था कि केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी दायरे में लाने का फैसला कर सकती है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है। वैसे अगर ऐसा होता तो पेट्रोल 28 रुपए और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो सकता था। अभी पेट्रोल 110 और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर के ऊपर चल रहा है। एक्सपर्ट पहले से ही मान रहे थे कि यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह राज्य सरकारों की कमाई का एक बड़ा जरिया है।