नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाये गए रक्षा मंत्रालय के दो कार्यालयों का उद्घाटन गुरुवार को किया। प्रधानमंत्री ने अफ्रीका एवेन्यू में रक्षा कार्यालय परिसर का दौरा करके थल सेना, नौसेना, वायु सेना और अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की। दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यू स्थित रक्षा कार्यालय परिसरों का उद्घाटन होने से पहले सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने पूजा की। पीएम मोदी ने इस मौके पर सेंट्रल विस्टा वेबसाइट लॉन्च की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अभीतक देश की सुरक्षा करने वाली सेनाओं के कार्यालय वहां से चलाये जा रहे थे जहां अंग्रेजों के जमाने में उनके घोड़ों के अस्तबल हुआ करते थे। आजादी के 75वें वर्ष में आज हम देश की राजधानी को नए भारत की आवश्यकता और आकांक्षाओं की तरफ विकसित करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं। ये नया डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स हमारी सेनाओं के कामकाज को अधिक सुविधाजनक और अधिक प्रभावी बनाने के प्रयासों को और सशक्त करने वाला है। अब केजी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यु में बने ये आधुनिक ऑफिस, राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े हर काम को प्रभावी रूप से चलाने में बहुत मदद करेंगे। राजधानी में आधुनिक डिफेंस एऩ्क्लेव के निर्माण की तरफ ये बड़ा कदम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग बड़ी चालाकी से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पीछे डंडा लेकर पड़े थे, वे अब चुप हैं क्योंकि उनको मालूम था कि भ्रम और झूठ फैलाने की जब पोल खुलेगी तो उनकी झूठ बाजी चल नहीं पाएगी। यह भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है, जहां 7,000 से अधिक सेना के अफसर जहां काम करते हैं। आज देश देख रहा है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजक्ट में हम कर क्या रहे हैं। जब हम राजधानी की बात करते हैं तो वो सिर्फ एक शहर नहीं होता। किसी भी देश की राजधानी उस देश की सोच, संकल्प, सामर्थ्य और संस्कृति का प्रतीक होती है। भारत तो लोकतंत्र की जननी है। इसलिए भारत की राजधानी ऐसी होनी चाहिए, जिसके केंद्र में लोक हो, जनता हो।
उन्होंने कहा कि 2014 में आकर सबसे पहले मैंने भारत की आन-बान-शान, भारत और मातृभूमि के लिए शहीद होने वाले जवानों का स्मारक बनाना सबसे जरूरी समझा। जो काम आजादी के तुरंत बाद शुरू होना चाहिए था, वो काम 2014 के बाद हुआ। इस काम को पूरा करने के बाद हमने सेंट्रल विस्टा का काम शुरू किया है। हमारी सेना, हमारे शहीदों के सम्मान और सुविधा से जुड़े राष्ट्रीय स्मारक भी इसमें शामिल हैं। राजधानी की आकांक्षाओं के अनुरूप दिल्ली में नए निर्माण पर बीते वर्षों में बहुत जोर दिया गया है। देशभर से चुनकर आए जनप्रतिनिधियों के आवास हों, अंबेडकर जी की स्मृतियों को सहेजने के प्रयास हों, अनेक नए भवन हों, इन पर लगातार काम किया है। डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स का भी जो काम 24 महीने में पूरा होना था वो सिर्फ 12 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। वो भी तब जब कोरोना से बनी परिस्थितियों में तमाम चुनौतियां थीं। कोरोना काल में सैकड़ों श्रमिकों को इस प्रोजेक्ट में रोजगार मिला है।
केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के तहत पहले चरण में रक्षा मंत्रालय के दो नए कार्यालय तैयार हुए हैं। पहला कस्तूरबा गांधी मार्ग (सेंट्रल दिल्ली) और दूसरा अफ्रीका एवेन्यू (चाणक्यपुरी) में स्थित है। अबतक रक्षा मंत्रालय का मुख्य दफ्तर साउथ ब्लॉक के पास था, जबकि बाकी दफ्तर इधर-उधर थे। इनको अब इन्हीं दोनों भवनों में शामिल कर दिया जाएगा और अगले कुछ महीनों में कर्मचारी इनमें शिफ्ट हो जाएंगे। नए रक्षा कार्यालय परिसरों में सेना, नौसेना और वायु सेना सहित रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के लगभग सात हजार सैन्य अधिकारी और सिविल कर्मचारी काम करेंगे। यह भवन आधुनिक और सुरक्षित हैं जिनके संचालन और प्रबंधन के लिए एक एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गई है जो दोनों भवनों की सुरक्षा और निगरानी की भी पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा।
दोनों ही बिल्डिंग सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, जिसके तहत लुटियन दिल्ली में आने वाले 86 एकड़ के हिस्से को री-डेवेलप किया जाना है। यह प्रोजेक्ट कुल 20 हजार करोड़ रुपये का है, इसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के नए आवास भी बनने हैं। अत्याधुनिक नए रक्षा कार्यालय परिसरों के निर्माण में नई और टिकाऊ निर्माण तकनीक, एलजीएसएफ (लाइट गेज स्टील फ्रेम) का उपयोग किया गया है। इस तकनीक के कारण पारंपरिक आरसीसी निर्माण की तुलना में निर्माण समय 24-30 महीने कम हो गया। यह भवन हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह भी उपस्थित रहे।