लखनऊ। सख्त निर्णय लेने और किसी निर्णय पर अडिग रहने के लिए कल्याण सिंह हमेशा यादों में बने रहेंगे। सूबे की बिगड़ी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कल्याण सिंह ने अभूतपूर्व कार्य किया था।
उस समय कोई यह नहीं कह सकता था कि यूपी बोर्ड की परीक्षा किसी भी हालत में नकल विहीन कराना संभव है। कल्याण सिंह ने यह कर दिखाया। उस वर्ष अपराधियों और माफिया को जेल की सलाखों में ठूंस दिया गया। इसके बाद तो बोर्ड परीक्षा में पूरे प्रदेश में नकल विहीन परीक्षा हुई। वर्ष 1992 में हाईस्कूल की परीक्षा में 14.70 फीसदी तो इंटर में 30.30 फीसदी विद्यार्थी ही सफल हो पाये थे। कल्याण सिंह की शिक्षा व्यवस्था का आज भी उदाहरण दिया जाता है।
माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए भी कल्याण सिंह का मिसाल पेश किया जाता है। उनके शासनकाल में शातिर अपराधी, माफिया, डाकू और चोर या तो जेलों में बंद थे या यूपी छोड़कर बाहर चले गये थे। मानवाधिकार आयोग की ओर से उठाये गये सवालों के बीच कल्याण सिंह ने पुलिस अफसरों से कहा था, माफियाओं से डरने या मानवाधिकार के सवालों से घबराने की जरूरत नहीं हैं। माफिया है तो उसे गोली, हां, इतना जरूर है कि सीने में नहीं, कमर के नीचे मारो।