कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राज्य भर में भड़की हिंसा की जांच अब सीबीआई करेगी। गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार को झटका देते हुए यह फैसला सुनाया है। मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता में गठित पांच जजों की बेंच ने चुनाव बाद हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपते हुए स्पष्ट कर दिया कि हिंसा के अलावा अन्य मामलों की जांच कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर की जाएगी।
दरअसल दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे जिसके बाद राज्य भर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले शुरू हो गए थे। डर की वजह से 17 हजार से अधिक लोगों को घर छोड़कर अन्यत्र शरण लेनी पड़ी थी। अनाधिकारिक तौर पर सौ से ज्यादा लोगों की हत्या हुई और सैकड़ों महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदातों को अंजाम दिया गया। ज्यादातर मामलों में पुलिस पर पक्षपात के आरोप लगे थे।
इसके बाद चुनावी हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए हाई कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए पांच जजों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को राज्य में हिंसा की जांच और जमीनी स्थिति के आकलन के लिए टीम गठित करने का आदेश दिया था। मानवाधिकार आयोग ने अपनी जांच पूरी कर उसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा कराई थी जिसमें स्पष्ट तौर पर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई गई थी और हिंसा के लिये सत्तारूढ़ पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किये गये थे। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में घटनाओं की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी जिसे अब कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। हालांकि मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में मामले की सुनवाई बंगाल के अलावा दूसरे राज्य में करने की अनुशंसा की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने इसे स्वीकृति नहीं दी है।