- पश्चिम बंगाल की राजधानी 03 अक्टूबर तक चलने वाले टूर्नामेंट की करेगी मेजबानी
- टूर्नामेंट में देश भर से सोलह टीमें प्रतिष्ठित ट्राफियां जीतने के लिए शामिल होंगी
नई दिल्ली। दुनिया का तीसरा सबसे पुराना और एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप कोविड-19 महामारी के कारण एक साल के अंतराल के बाद वापसी करने के लिए तैयार है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ), आईएफए (पश्चिम बंगाल) और पश्चिम बंगाल सरकार के समर्थन के साथ डूरंड कप का 130वां संस्करण 05 सितम्बर से होगा। पश्चिम बंगाल की राजधानी 03 अक्टूबर तक यानी चार सप्ताह चलने वाले लंबे टूर्नामेंट की फिर से मेजबानी करेगी।
प्रतिष्ठित डूरंड कप टूर्नामेंट पहली बार 1888 में डगशाई (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित किया गया था। उस समय इस टूर्नामेंट का नाम भारत के प्रभारी विदेश सचिव मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था। यह टूर्नामेंट शुरू में ब्रिटिश सैनिकों के बीच स्वास्थ्य और फिटनेस को बनाए रखने का बेहतरीन तरीका था, लेकिन बाद में इसे नागरिकों के लिए खोल दिया गया और वर्तमान में यह दुनिया के प्रमुख खेल आयोजनों में से एक है। डूरंड कप के इतिहास में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल सबसे सफल टीमें हैं जिन्होंने इसे सोलह बार जीता है।
विजेता टीम को तीन ट्राफियां दी जाती हैं जिनमें पहला राष्ट्रपति कप है जिसे पहली बार डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पेश किया था। दूसरी रोलिंग ट्रॉफी है जो डूरंड कप का मूल पुरस्कार है। इसके अलावा शिमला ट्रॉफी है जिसे पहली बार 1903 में शिमला के नागरिकों ने शुरू किया था। 1965 के बाद से यह भी एक रोलिंग ट्रॉफी हो गई। इस टूर्नामेंट को 2019 में दिल्ली से कोलकाता स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसे गोकुलम केरल ने फाइनल में मोहन बागान को 2-1 से हराकर जीता था। पश्चिम बंगाल की राजधानी 05 सितम्बर से 03 अक्टूबर 2021 के बीच चार सप्ताह तक होने वाले लंबे टूर्नामेंट की फिर से मेजबानी करेगी। टूर्नामेंट के सभी मैच कोलकाता और उसके आसपास विभिन्न स्थानों पर मैच खेले जाएंगे। टूर्नामेंट में देश भर से सोलह टीमें प्रतिष्ठित ट्राफियां जीतने के लिए शामिल होंगी जिसमें तीनों सेनाओं की चार टीमें भी सच्ची खिलाड़ी भावना से शामिल होने के लिए तैयार हैं।