- कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर जिले में हर मुकम्मल व्यवस्था
- सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण कार्यशाला आयोजित
बाराबंकी । जिले के अब हर जरूरतमंद को सही समय पर सही उपचार मुहैया कराना स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकता है । इसके लिए विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि किसी को भी इलाज की कमी का सामना न करना पड़े । इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सही मायने में धरातल तक पहुंचाने में मीडिया की अहम् भूमिका है । यह बातें बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण कार्यशाला के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामजी वर्मा ने कहीं ।
डॉ. वर्मा ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बताया कि जिले की चार सीएचसी पर 10-10 बेड के और जिला मुख्यालय पर 100 बेड के साथ ही दोनों निजी मेडिकल कॉलेज में भी बच्चों के उपचार की व्यवस्था की गयी है । इसके अलावा जिले में पांच ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जा रही है, जिनमें से एक चालू भी हो गया है। सीएमओ ने कहा कि सीफार संस्था स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को जनसमुदाय तक पहुंचाने में सराहनीय भूमिका निभा रही है ।
इस अवसर पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव सिंह ने कहा कि कोविड काल में मीडिया की सकारात्मक खबरों से आमजन की भ्रांतियां और उनका भय दूर करने में बड़ा सहयोग मिला । एसीएमओ डॉ. केएनएम त्रिपाठी ने बताया कि जिले के कई स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में उच्चीकृत किया गया है। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर (सीएचओ) की तैनाती की गई है। उच्च जोखिम वाली गर्भवती के सुरक्षित प्रसव के लिए हर माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन किया जाता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में वर्ष 2021 में कुल 3118 साधारण क्षय रोगी खोजे गए हैं, जिनमें से 2903 स्वास्थ्य विभाग द्वारा तथा 215 निजी चिकित्सकों द्वारा खोजे गए हैं । इस वर्ष 85 ड्रग रजिस्टेंट रोगी भी खोजे गए हैं, जबकि वर्ष 2020 में 4714 साधारण क्षय रोगी खोज कर उपचार शुरू किया गया था, जिनमें से 4537 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। बीते साल खोजे गए 135 ड्रग रजिस्टेंट रोगियों में से 104 को उपचार के बाद स्वस्थ बनाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों की जांच के लिए जिले में तीन सीबीनॉट और 10 ट्रूनॉट साइट स्थापित किए गए हैं। क्षय रोगियों के उपचार के लिए 18 टीबी यूनिट भी कार्यरत हैं।
एसीएमओ डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के साथ ही अन्य विभागों के समन्वय से बीते तीन सालों से संचारी रोगों पर नियंत्रण पाया गया है। मच्छरों की रोकथाम और जन समुदाय को बीमारी रहित बनाने के लिए फागिंग की जा रही है, कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर विभिन्न सवाल किए जिसका स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने समुचित जवाब दिया।
इससे पूर्व सीफार संस्था के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर शशिधर द्विवेदी ने संस्था का परिचय देते हुए कहा कि सीफार संस्था यूपी के सभी 75 जिलों में स्वास्थ्य विभाग और मीडिया के बीच सेतु का काम कर रही है। इस अवसर पर सीफार के रीजनल कोआर्डीनेटर (साउथ) सुशील चौधरी ने संस्था के प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला में जिला कार्यक्रम प्रबंधक अंबरीश द्विवेदी, डीसीपीएम सुरेंद्र कुमार, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी निमेष चंद्रा, उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मानवेंद्र वर्मा, यूनिसेफ के प्रतिनिधि नितिन खन्ना, यूडीआई के आफताब सहित सीफार के जिला राजकुमार मिश्रा, श्याम सिंह, विनय श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव उपस्थित रहे।