दयानंद पांडेय। पेगसस की कुंठा का पायजामा इतना फट गया है , फटता ही जा रहा है कि ओलंपिक में नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल पेगसस टीम से बर्दाश्त नहीं हो रहा है। पेगसस के पूरे पायजामे में आग लग गई है। सो इन का पृष्ठ भाग जल कर ईंट का भट्ठा बन गया है। कुंठा विगलित हो कर बदक रही है इतना कि आखिर भारत को फेंकने में ही गोल्ड मिला , बताया जाने लगा है। तंज की तंगदिली का तावा बहुत गरम है। तब जब कि अभी ओलंपिक के कई दिन शेष हैं और 7 मैडल भारत के हिस्से में किसी ओलंपिक में पहली बार आ चुके हैं। स्पष्ट है कि अभी और आएंगे।
क्रिकेट जैसा क्रीम खेल इन ओलंपिक मेडल की चमक में फीका पड़ गया है। इन दिनों क्रिकेट मैच भी हो रहे हैं पर बहार ओलंपिक की चल रही है। क्रिकेट जैसे नेपथ्य में चला गया है। लेकिन कुछ कुंठित लोगों के पृष्ठ भाग में इन ओलंपिक मेडल से आग लग गई है। वैसे भी देश की हर सफलता , हर उपलब्धि में इन के पृष्ठ भाग में आग लगना स्वाभाविक क्रिया बन गई है। वैक्सीन बन जाए तो पृष्ठ भाग में आग। चीन पर भारत भारी पड़ जाए तो पृष्ठ भाग में आग। अभिनंदन सिर उठा कर , सीना तान कर भारत वापस लौट आए तो पृष्ठ भाग सुलग जाए। सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के पक्ष में फैसला आ जाए तो पृष्ठ भाग में आग। 370 पर भी और सी ए ए आ जाए तो भी। बात-बेबात इन का पेगसस का पायजामा जल जाता है और पृष्ठ भाग में आग लग जाती है। वंदे मातरम और भारत माता की जय से चिढ़ते-चिढ़ते इन का पृष्ठ भाग ज्वालामुखी का ख़ास केंद्र बन गया है।
इन का पृष्ठ भाग तभी संतुष्ट होता है जब भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्ला , इंशा अल्ला सुनते हैं। तुम कितने अफजल मारोगे , हर घर से अफजल निकलेगा ! जैसे नारों से भी इन का पृष्ठ भाग संतुष्ट हो जाता है। दुर्भाग्य यह कि ऐसे लोगों का कोई चिकित्सकीय समाधान भी नहीं है। थोड़ा बहुत समाधान है ऐसे लोगों का तो योगी आदित्यनाथ के पास ही है। अगर आप को यकीन न हो तो राकेश टिकैत द्वारा लखनऊ घेराव के ऐलान के बाबत मेरी इस बात का परीक्षण कर लीजिएगा। लखनऊ की सरहद पर राकेश टिकैत का माकूल इलाज न हो जाए तो बताइएगा।
तो पेगसस के जले और फ़टे पायजामा वालों का इलाज भी योगी आदित्यनाथ के पास ही है। मोदी और अमित शाह के पास नहीं। मोदी और अमित शाह के पास अगर इलाज होता तो रावर्ट वाड्रा , ज़मीन मामले में राहुल और सोनिया , नेशनल हेराल्ड मामले में अब तक जेल में होते। चिदंबरम जैसे लोग जेल से बाहर नहीं आ पाए होते। पर यह मोदी , अमित शाह जैसे लोग वेट एंड वाच में यक़ीन रखने वाले नरम दल के लोग हैं। लेकिन योगी इन का पायजामा फाड़ कर , उसी कपड़े में इन का कुरता भी सिलवा कर पहना देंगे। फिर आज़म खान और मुख्तार अंसारी , अतीक अहमद जैसों की तरह इन सब की आवाज़ भी नहीं निकलेगी।
देखिए न कि अखिलेश यादव का भीतर-भीतर जाने क्या इलाज कर दिया है योगी ने कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की 403 सीटों में से 400 सीट जीतने का ऐलान कर दिया है अखिलेश यादव ने। गोया विधान सभा चुनाव नहीं लड़ने निकले हैं , घर की टोटी और टाइल उखाड़ने निकले हैं। हर थाने पर यादव थानेदार तैनात करने निकले हैं। कुरता फाड़ कर घूमना इसे ही तो कहते हैं। एक मजनू ही नहीं था , अखिलेश यादव भी हैं। भरी जवानी में बूढ़े और चिड़चिड़े वैसे ही तो नहीं हो गए हैं अखिलेश यादव। बात-बेबात मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों की रट वैसे ही तो नहीं लगाए हुए हैं वह। नहीं रहे अमर सिंह नहीं अब तक वह अखिलेश यादव को उन का चंद्र खिलौना दे कर उन के घर में बैठा दिए होते।
एक ओम प्रकाश राजभर हैं कि पांच साल में पांच मुख्य मंत्री और 20 उप मुख्य मंत्री की लतीफाई बात कर रहे हैं। बसपा वाले कभी अयोध्या में राम जन्म-भूमि पर शौचालय बनाने की बात करते थे। आज बढ़-चढ़ कर मंदिर बनाने की बात रहे हैं। सपा-बसपा सभी प्रभु राम और ब्राह्मणों की बात करने लगे हैं। योगी असल में आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा में यकीन करते हैं , एलोपैथी में नहीं। इसी लिए कह रहा हूं कि पेगसस के पायजामे का जो नाड़ा निकल गया है , पृष्ठ भाग में जो आग लगी हुई है , उस का निवारण और शमन सिर्फ़ योगी ही कर सकते हैं। बरास्ता आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा। बताइए कि 13 सालों बाद एक खिलाड़ी ओलंपिक से गोल्ड मेडल जीतता है और यह विघ्न संतोषी इस पर भी तंज और शोक में डूब जाते हैं। हिंदू अखबार का एक बीमार सहायक संपादक तो नीरज अरोड़ा के साथ ही पाकिस्तानी खिलाड़ी को भी गोल्ड मेडल मिलने की कल्पना करता मिला आज। यह तब जब है कि पाकिस्तान के लोग भी नीरज चोपड़ा को बधाई दे रहे हैं।
एक चीनी कहावत है कि इतने उदार भी मत बनिए कि अपनी बीवी भी किसी को गिफ्ट कर दीजिए। पर यह लोग तो बीवी , मां , बहन , बेटी ,आन-मान , स्वाभिमान सब कुछ सौंप देना चाहते हैं। पूरा देश गोल्ड मेडल में चहक और गमक रहा है पर इस पेगसस ऊर्फ टुकड़े-टुकड़े गैंग वालों का पृष्ठ भाग इतना सुलग गया है कि पाकिस्तान को गोल्ड मैडल की परिकल्पना के सुख में डूबा हुआ है। सुख और आनंद के क्षण में भी तंज और शोक में डूबा हुआ है। इन नितंब नरेशों का समुचित इलाज अब बहुत ज़रूरी हो गया है। राष्ट्रीय सुख और आनंद में भी शोक और तंज का तालाब खोद लेने वालों की खबर तो लेनी पड़ेगी। पेगसस की कुंठा का पायजामा पहने लोगों के पृष्ठ भाग में लगी आग को और दहकाना बहुत ज़रुरी हो गया है। ताकि यह अपनी ही आग में जय हिंद हो जाएं।