लखनऊ। कृषकों को गुणवत्तायुक्त रासायनिक उर्वरकों की समय से व्यवस्था किये जाने, उर्वरकों की बिक्री एवं वितरण शत-प्रतिशत पी0ओ0एस0 के माध्यम से किये जाने तथा यूरिया उर्वरक के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग रोकने, ओवररेटिंग, कालाबाजारी एवं तस्करी की सतत् निगरानी किये जाने के दृष्टिगत समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को विस्तृत दिशा निर्देश निर्गत किये गये हैं।
उक्त जानकारी देते हुए मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि वर्तमान समय में प्रदेश में कृषकों द्वारा खरीफ फसलों की बुआई/रोपाई का कार्य पूर्ण किये जाने के उपरान्त, खड़ी फसलों में यूरिया उर्वरक की प्रथम एवं आवश्यकतानुसार दूसरी टॉप ड्रेसिंग का कार्य किया जा रहा है, जिससे वर्तमान समय में यूरिया उर्वरक की मांग में वृद्धि हो रही है। कृषकों को गुणवत्तायुक्त यूरिया उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कराना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि कृषकों को उनकी जोत के अनुसार उर्वरक निर्धारित दर पर प्राप्त होने के साथ-साथ उर्वरकों की जमाखोरी, कालाबाजारी, अधिक दामों पर बिक्री, यूरिया उर्वरक के साथ अन्य उर्वरकों एवं उत्पादों की टैगिंग पर पूरी तरह से अंकुश रखे जाने के सम्बन्ध में सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि कृषकों को उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु प्रभावी कार्यवाही एवं नियमित अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाये। कृषकों को सुगमता पूर्वक गुणवत्तायुक्त उर्वरक उपलब्ध कराये जाने हेतु जिलाधिकारी अथवा जिलाधिकारी द्वारा नामित अधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय समिति गठित है, समिति द्वारा जनपद में प्राप्त होने वाली उर्वरक की, क्षेत्रीय कृषकों की वास्तविक मांग के अनुसार निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उर्वरक बिक्री केन्द्रों हेतु आवंटन किया जाये।
जनपद के समस्त क्षेत्रों में मांग के अनुरूप सुगमतापूर्वक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये तथा जनपदीय समिति द्वारा साप्ताहिक समीक्षा भी की जाये। समस्त उर्वरक बिक्री केंद्रों पर अनिवार्य रूप से पी0ओ0एस0 मशीन के माध्यम से ही उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित की जाये तथा पी0ओ0एस0 में प्रदर्शित स्टॉक का बिक्री केन्द्र में भौतिक रूप से उपलब्ध स्टॉक से सत्यापन किया जाये। वर्तमान में प्रयोग होने वाले मुख्य उर्वरक यूरिया की बिक्री कृषकों को निर्धारित मूल्य पर अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कराई जाये। उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पर उर्वरक बिक्री करता पाया जाये, तो उसके विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के प्राविधानानुसार प्रभावी विधि संगत कार्यवाही की जाये। उर्वरक विक्रेताओं द्वारा यूरिया उर्वरक के साथ किसी भी प्रकार के अन्य उर्वरक/उत्पादों की टैगिंग करके बिक्री न की जाये, इसे सुनिश्चित किया जाये।
ऐसे उर्वरक विनिर्माता/प्रदायकर्ता संस्थाओ, जिनके द्वारा किसी थोक उर्वरक विक्रेता को प्रमुख उर्वरक यूरिया एवं डी0ए0पी0 की आपूर्ति दिये जाने हेतु, कम प्रचलित उर्वरक/उत्पाद भी क्रय करने हेतु बाध्य किया जाता है, उनके विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। कृषकों को उनकी जोत/कृषित भूमि के आधार पर ही, नियंत्रित तरीके से फसल की संस्तुतियों के अनुरूप, उर्वरकों का वितरण एवं बिक्री सुनिश्चित की जाये, जिससे समस्त कृषकों को मांग के अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। फुटकर विक्रेताओं के साथ-साथ थोक विक्रेताओं एवं बफर स्टाकिस्टों के स्टाक का सघन निरीक्षण किया जाये। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि कहीं थोक विक्रेता स्थानीय स्तर पर अपने पास उर्वरक का अनावश्यक भण्डारण, उर्वरकों का कृत्रिम अभाव तो उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। अधिक भण्डारित स्टाक को बाजार में कृषकों के लिए बिक्री हेतु अविलम्ब अवमुक्त किया जाना सुनिश्चित किया जाये तथा दोषियों के विरूद्ध सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत प्रभावी विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाये।
मुख्य सचिव ने उक्त दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये हैं।