नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एकबार फिर नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिनों तक चली बैठक के बाद आज गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नीतिगत ब्याज दरें पहले के स्तर पर ही बरकरार रहेंगी। यानी रेपो रेट 4 फीसदी की दर पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी की दर पर कायम रहेंगी।
बताया जा रहा है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों में से 5 सदस्यों ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने की बात पर सहमति जताई थी।
आपको बता दें कि ये लगातार सातवां मौका है, जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत ब्याज दरों को पूर्ववर्ती दर पर ही बनाए रखने का फैसला लिया है। इसके पहले 22 मई 2020 को भारतीय रिजर्व बैंक ने घरेलू मांग को बढ़ाने के इरादे से नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था। इस बदलाव के साथ ही नीतिगत ब्याज दरों को रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर ले आया गया था। उस समय के बाद अभीतक नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा के देश की अर्थव्यवस्था मौद्रिक नीति समिति की उम्मीदों के मुताबिक ही आगे बढ़ रही है। खासकर जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे बाजार खुलते जा रहे हैं और कारोबारी गतिविधियां भी बढ़ रही हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आ रहा है। लेकिन इसके साथ ही अर्थव्यवस्था पर लगातार कोरोना का दबाव बने रहने की वजह से कई स्थितियां प्रतिकूल भी बनी हुई हैं।
कोरोना का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है और लगातार इस महामारी की तीसरी लहर के आने की चेतावनी दी जा रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को महामारी के झटके से बचाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को सतर्क बने रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए नीतिगत समर्थन (पॉलिसी सपोर्ट) की भी जरूरत होती है। इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक का ध्यान मूल रूप से देश की अर्थव्यवस्था को सहारा और समर्थन देने की ओर ही टिका हुआ है।