सोनीपत। टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहलवान रवि कुमार ने पुरुष फ्रीस्टाइल कुश्ती की 57 किलोग्राम वर्ग में बुलगारिया के पहलवान को 14-4 से हराकर जीत दर्ज की तो उसके पैतृक गांव नाहरी में रवि के जोश व जुनून काे सलाम करते हुए जश्न मनाया गया गया। अब गोल्ड की उम्मीद की आस जगी है।
नाहरी में रवि के घर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। रवि के पिता राकेश कुमार उत्साहित हैं। उनका कहना है कि आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण वह तो कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे लेकिन अपने बेटे को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते देखना चाहते थे। उसके बेटे उसके सपनों को साकार करने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं।
राकेश का कहना है कि खुद वे अच्छे पहलवान रहे लेकिन घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती करने लगे। रवि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के बल पर ओलंपिक में पहुंचकर बेहतर खेल का प्रदर्शन कर रहा है। परिजनों व ग्रामीणों को ओलंपिक में रवि से स्वर्ण पदक की उम्मीद है।
राजेश कहते हैं कि नाहरी की माटी की खुशबू विदेश में महके यह हर ग्रामीण का सपना होता है। गांव के लाडले ने वतन की आन, बान और शान को बेहतर तरीके से सम्मान दिलाया।
नाहरी के मूल निवासी रवि को गांव के संत हंसराज पहलवानी के लिए लेकर गए। गांव में ही रवि को अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सिखाए। वह वर्ष 2015 में छत्रसाल स्टेडियम में गया और जूनियर रेसलिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता। घुटने की चोट लगी तो 2017 में सीनियर नेशनल गेम्स में सेमीफाइनल तक पहुंचने के बाद उन्हें प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। फिट होने के बाद वर्ष 2018 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और वर्ष 2019 में हुई वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।