
नवेद शिकोह। यूपी के मीडियाकर्मियों को आज का दिन राहत भी देगा और आहत भी करेगा। हमसे बिछड़ चुके दोस्त..सहकर्मियों के परिजनों/आश्रितों के कुन्बे को देखकर हमारा कलेजा फट जाएगा।
कोई यतीम, कुछ विधवाएं, कई ऐसी बद्नसीब बूढ़ी मांएं जिनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया.. ग़मजदा लोगों का एक हुजूम लग जाएगा। आंसुओं के सैलाब में मजधार के भंवर से निकाल कर किसी के ढांढस ने इन्हें तसल्ली के साहिल पर इकट्ठा करने का नेक काम किया है।
ऐसा मंज़र शनिवार मध्यान्ह बारह बजे लखनऊ स्थित लोकभवन के ऑडीटोरियम में नज़र आएगा। यहां एक योगी अपना धर्म और मुख्यमंत्री अपना राजधर्म निभाएंगे। यूपी के जिन दर्जनों मीडियाकर्मियों को कोरोना ने छीन लिया था उनके परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांत्वना देंगे, उनका दुख साझा करेंगे और दस-दस लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे।बड़े से बड़े जख्म को वक़्त का मरहम भरने की कोशिश करता है,लेकिन वक़्त की सख्तियों पर वक्त का भी क़ाबू नहीं होता। बुरे वक्त को सहानुभुति, सहायता, सहयोग और अपनेपन के अहसास के सहारे की ज़रूरत होती है। पहाड़ से पहाड़ दुख को छोटे से छोटा सहयोग भी तिनके का सहारा लगता है। क्योंकि छोटे सहयोग मे अपनेपन की बड़ी भावना ग़मज़दा को आत्मबल/ढांढस देती है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को कोरोना काल में अपनों के बिछड़ने का अहसास है। ख़ासकर वो जो अपनी ख़ास सेवाएं देते हुए इस कोरोना से जंग लड़ने के दौरान इस वैश्विक महामारी के जानलेवा शिकंजे में दिवंगत हो गए।
ऐसे ही यूपी के दिवंगत मीडियाकर्मियों के परिजनों को यूपी की योगी सरकार ने दस-दस लाख की चेक देकर आर्थिक सहायता प्रदान करने का क़ाबिले तारीफ फैसला किया है। इस निर्णय की ख़बर आते ही प्रदेश का मीडिया जगत योगी सरकार और उनके अफसर अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल, सूचना निदेशक शिशिर और समस्त सूचना विभाग को आभार व्यक्त कर रहा है। कोरोना में दिवंगत हुए मीडिया कर्मियों के आश्रितों/परिजनों को दस-दस लाख की आर्थिक मदद दिए जाने की ख़बर के बाद सोशल मीडिया में मीडियाकर्मियों की भावुक प्रतिक्रियाएं तैर रही हैं। योगी सरकार के इस सराहनीय कार्य की तारीफ इसलिए भी की जा रही है क्योंकि मदद के इस अनुष्ठान में कोई भेदभाव नहीं हुआ।
छोटे अखबार का पत्रकार हो या बड़े अखबार का, फील्ड का पत्रकार हो या डेस्क पर काम करने वाला हो, लखनऊ के संघर्षरत स्थानीय अखबार के संघर्षशील पत्रकार मोहम्मद वसीम हों या देश के ब्रॉड नंबर वन चैनल के स्थापित पत्रकार/एंकर रोहित सरदाना हों, हर किसी दिवंगत पत्रकार के परिजनों को ना सिर्फ आर्थित सहायता दी जाएगी बल्कि स्वंय प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ गमजदा दुखियारे परिजनों के आंसू पोछेंगे। सांत्वना देंगे और उन्हें अहसास दिलाएंगे कि उनकी सरकार उनके साथ खड़ी है।
स्वतंत्र पत्रकार