अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने उन्हें कर्नाटक से बाहर सुरक्षित जगह ले जाना बेहतर समझा. सरकार बनाने के लिए येदियुरप्पा को 15 दिन की मोहलत मिलने से दोनों दलों को यह समझ में आ गया है कि इससे बीजेपी के लिए उनके विधायकों को तोड़ने का लंबा मौका मिल गया है और उन्हें अपने विधायक दल की तगड़ी सुरक्षा करनी होगी. इस बीच कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी के कई विधायक सिद्धारमैया से नाराज हैं और जेडी (एस) से गठबंधन के खिलाफ हैं.
यह सच है कि दोनों दल एक दूसरे के कड़वे विरोधी की तरह चुनाव लड़े हैं. उनका वैसे तो यह दावा है कि सभी विधायक और कार्यकर्ता इस नए गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों दलों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. असंतोष सुलग रहा है और बीजेपी तो इसी ताक में है कि बागियों को अपने साथ जोड़कर सरकार बना ली जाए. कांग्रेस में घबराहट ज्यादा है क्योंकि पहले ही उसके कई एमएलए लापता हैं.
कांग्रेस में असंतोष किस हद तक है यह निवर्तमान विधानसभा के स्पीकर केबी कोलिवाड से बातचीत से पता चलता है. केबी कोलिवाड खुद चुनाव हार गए हैं. पांच बार विधायक रहे कोलिवाड ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि इस गठजोड़ से कांग्रेस के सभी विधायक खुश नहीं हैं. कांग्रेस और जेडीएस विधायक एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे, ऐसे में नई सरकार बनाने के लिए बना गठबंधन उन्हें रास नहीं आ रहा. कोलिवाड ने कहा, ‘कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की मीटिंग के दौरान काफी मतभेद सामने आए और पार्टी अपने विधायक दल का नेता भी नहीं चुन पाई.’
कांग्रेस हार के लिए सिद्धारमैया जिम्मेदार!
उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस की भारी हार के लिए पूर्व सीएम सिद्धारमैया को जिम्मेदार बताया. बुरी तरह हार इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि आखिर कांग्रेस के 16 कैबिनेट मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. कोलिवाड ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया मनमानी करते हैं. उन्होंने कहा, ‘सिद्धारमैया ने पार्टी को नष्ट कर दिया है. वह पार्टी के तानाशाह बन गए हैं. हाईकमान की बात न मानने वाले सिद्धारमैया ही 40 से ज्यादा सीटों पर हार के लिए जिम्मेदार हैं. देश भर में कांग्रेस की हार की वजह से हाईकमान कमजोर हुआ है और सिद्धारमैया ने इसका फायदा उठाया है.’ कोलिवाड ने कहा कि ऐसी भावना रखने वाले वह अकेले नहीं हैं, कई और लोग भी हैं, लेकिन हाईकमान की दबाव की वजह से वे चुप हैं. उन्होंने कहा, ‘बहुत से विधायक इस गठजोड़ से खुश नहीं हैं, लेकिन वे हाईकमान की वजह से चुप हैं.’
लिंगायत विधायक भी नाराज
बताया जाता है कि बीजेपी ने कई नाराज विधायकों से संपर्क किया है. इनमें लिंगायत समुदाय से आने वाले 16 विधायक शामिल हैं. लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के सिद्धारमैया के निर्णय से उन्हें जीत में मदद तो मिली है, लेकिन वोक्कालिगा आधार वाले जेडीएस से गठबंधन बनाने से वे नाराज हैं. इसकी वजह यह है कि ये दोनों समुदाय सामाजिक रूप से प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. उन्हें लगता है कि लिंगायत समुदाय के येदियुरप्पा की जगह वोक्कालिगा समुदाय के एचडी कुमारस्वामी को सीएम बनाने से उनके लिए अपने समुदाय में जवाब देना मुश्किल हो सकता है. बीजेपी तो इन कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में करने के लिए लिंगायत मठों से दबाव बनवाने की कोशिश कर रही है.