असम-मिजोरम सीमा विवाद फिर भड़का

गुवाहाटी। असम-मिजोरम सीमा विवाद नये सिरे से दोबारा शुरू हो गया है। 1933 में लुसाई हिल्स और फिर राजकीय राज्य मणिपुर के बीच एक नई सीमा बनाई गई। इसमें कहा गया कि मणिपुर की सीमा असम के लुसाई हिल्स, कछार जिला और मणिपुर राज्य के ट्राइजंक्शन से शुरू हुई है।

असम और मिजोरम की 165 किलोमीटर लंबी सीमा (असम-मिजोरम सीमा विवाद) को लेकर विवाद के केंद्र में दो सीमाएं हैं। दोनों विश्व कप से जुड़े हैं। दोनों राज्य इस बात पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं कि किस सीमा का पालन करना है। 19वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश चाय बागान को कछार के मैदानी यानी बराक घाटी में शामिल किया गया था। इसमें अब कछार, हैलाकांदी और करीमगंज जिले शामिल हैं। उनके विस्तार के कारण मिजो लोगों के लिए समस्याएं पैदा हुईं। मिजो लोगों का रिहायशी इलाका लुसाई हिल्स था। कछार जिला की दक्षिणी सीमा भी अगस्त 1875 में असम गजट में दिखायी गयी थी। मिज़ो का कहना है कि 1875 में अंग्रेजों ने पांचवीं बार लुसाई पहाड़ और कछार के मैदानी हिस्से में सीमांकन किया था। इसबार मिजो नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर सीमांकन किया गया था। दो साल बाद गजट में वन सीमा की एक आधार रेखा बनायी गयी।

नई सीमा 1933 में पुनर्निर्धारण किया गया। हालांकि 1933 में लुसाई हिल्स और तत्कालीन राजकीय राज्य मणिपुर के बीच एक नई सीमा बनाई गई थी। इसमें कहा गया है कि मणिपुर की सीमा असम के लुसाई हिल्स, कछार जिला और मणिपुर राज्य के ट्राइजंक्शन से शुरू हुई है। जबकि, मिज़ो लोग इस सीमा को नहीं मानते हैं। वे 1875 की सीमा के बारे में बात करते हैं जिसे उनके नेताओं के परामर्श से खींचा गया था।

आजादी के बाद असम से अलग पूर्वोत्तर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अलग हो गये। 1963 में नगालैंड, 1972 में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम राज्य असम से अलग हो गये। तत्कालीन अधिकारियों ने कहा था कि मिजोरम और असम के बीच हुए समझौते के तहत सीमा क्षेत्र में नो मेंस लैंड स्थिति स्थिति को बनाए रखना होगा।

हालांकि, हिंसा फरवरी 2018 में हुई थी। उस समय छात्र संघ एमजेडीपी ने असम द्वारा दावा की गई भूमि पर किसानों के लिए एक विश्राम गृह का निर्माण किया था और जिसे असम पुलिस ने ध्वस्त कर दिया था। पिछले अक्टूबर में मिजोरम द्वारा दावा की गई जमीन पर लैलापुर (असम) में निर्माण को लेकर एक सप्ताह में दो झड़पें हुई थीं। केंद्र सरकार और दोनों राज्यों के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद स्थिति सामान्य हो गयी। लेकिन, यह हिंसक विवाद की शुरुआत थी।

2019 और 2020 में भी असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांदी जिलों से लगने वाली मिजोरम की सीमा पर हिंसक झड़पें हुई। असम ने काफी समय तक मिजोरम की आर्थिक नाकेबंदी की, जिसके चलते मिजोरम में अत्यावश्यक सामग्रियों की किल्लत पैदा हो गयी थी। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया और दोनों राज्यों में आवाजाही सामान्य हुई। लेकिन एकबार फिर से पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर सीमा पर रहने वाले लोगों के घरों में आग लगाना, वनों को नष्ट कर कब्जा करना, हथगोलों से असम के पुलिस कर्मियों पर हमला करने का सिलसिला शुरू हुआ।

हिंसक घटनाओं की परिणीति सोमवार को दोनों राज्यों की ओर से की गयी गोलीबारी में छह पुलिस कर्मी और एक आम नागरिक की मौत हो गयी, जबकि 54 से अधिक पुलिस कर्मी व आम नागरिक घायल हो गये हैं। हमले में कछार जिला के पुलिस अधीक्षक वैभव चंद्रकांत निंबालकर और एक थानाध्यक्ष को गोली लगी है। दोनों का इलाज सिलचर मेडिकल कालेज अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है।

फिलहाल विवाद वाले इलाके को सीआरपीएफ ने अपने जिम्मे लेकर लगातार गश्त लगा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इस विवाद को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।

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