-मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लाभार्थी बच्चों के संरक्षकों के बैंक खाते में 4.86 करोड़ की राशि का अंतरण, हर बच्चों के खाते में पहुंचे 12 हजार रूपये
-कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चे न समझें असहाय, सरकार करेगी हर उपाय
–कहा – माता-पिता को तो नहीं लौटा सकते पर हर दुःख-दर्द तो बाँट सकते हैं
बाराबंकी । राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साथ पाकर वृहस्पतिवार को सूबे के उन 4050 बच्चों का दुःख-दर्द हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गया जो कोविड-19 के चलते अपने माता-पिता दोनों या किसी एक को खोकर अपने को अनाथ और असहाय महसूस कर रहे थे । वक्त था राजधानी के लोकभवन सभागार में इन्हीं बच्चों के संरक्षण, शिक्षा और सुरक्षा को लेकर शुरू की गयी उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के विधिवत शुरुआत का । योजना से लाभान्वित होने वाले बच्चों में 240 ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने माता-पिता दोनों को खोया है जबकि 3810 बच्चों ने दोनों मे से किसी एक को खोया है ।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बटन दबाने के साथ ही योजना के लाभार्थी बच्चों के वैध संरक्षकों के बैंक खाते में उनके संरक्षण और देखभाल की राशि का अंतरण हो गया । 4.86 करोड़ की राशि के अंतरण के साथ ही लाभार्थी बच्चों के खाते में चार हजार रूपये प्रतिमाह के हिसाब से तीन महीने की अग्रिम राशि के रूप में 12 हजार रूपये पहुँच गए । लोकभवन में प्रतीकात्मक रूप से मौजूद लखनऊ के 10 लाभार्थी बच्चों को स्वीकृति पत्र, स्कूल बैग व चाकलेट सौंपने के साथ ही मुख्यमंत्री ने उन बच्चों को प्यार से दुलारा भी और एक सन्देश दिया कि – सरकार माता-पिता की कमी तो नहीं पूरा कर सकती किन्तु उनका हर दुःख-दर्द जरूर बाँट सकती है । इसलिए वह अपने को एक पल के लिए भी असहाय न महसूस करें । कोविड-19 से प्रभावित, अनाथ व संकटग्रस्त हुए इन बच्चों का दुःख-दर्द बांटने के लिए राजधानी के लोकभवन के साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जहाँ पर जिलाधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने इन बच्चों का दुःख-दर्द बांटा । मुख्यमंत्री के लोकभवन के कार्यक्रम का भी सीधा प्रसारण सभी जिलों में किया गया, जिसे बच्चों और उनके संरक्षकों के साथ ही अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भी देखा । अधिकारियों ने बच्चों को भरोसा दिलाया कि वह अपने को अकेला न महसूस करें, सरकार के साथ ही पूरा जिला प्रशासन उनके हर सुख-दुःख में उनके साथ है । कभी भी कोई दिक्कत महसूस करें तो बेधड़क आकर बताएं, उसका निदान किया जाएगा । उनको और उनकी जमीन जायदाद को भी गलत हाथों में जाने से बचाने का भी प्रशासन के लोग पूरा ख्याल रखेंगे ।
बैग में बच्चों की जरूरत के सामान के साथ चाकलेट का प्यार भी :
लोकभवन में उपस्थित आठ छोटे बच्चों को राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने बड़े ही प्यार व दुलार के साथ स्कूल बैग सौंपा, जिसमें योजना का स्वीकृति प्रमाणपत्र, स्टेशनरी, पेन्सिल बॉक्स, लंच बॉक्स के साथ चाकलेट का पैकेट भी था । 11 साल से बड़े दो बच्चों को जो बैग सौंपा गया, उसमें टैबलेट के साथ ही अन्य उपयोगी सामान थे, जिसे पाकर बच्चों के चेहरे पर अपनों के प्यार का रंग साफ़ झलक रहा था ।
समुदाय की भी सहभागिता जरूरी :
कार्यक्रम में राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि इन बच्चों की मदद में समुदाय की सहभागिता भी बहुत ही जरूरी है । इन बच्चियों की शादी में अगर समुदाय से कोई डिनर सेट, कोई गैस सिलेंडर तो कोई कोई चूल्हा और कोई पंखा दे दे तो इनकी बड़ी मदद होगी । सरकार तो अपना काम कर ही रही है, आप लोग भी इन बच्चों का ख्याल रखें और हरसंभव मदद पहुंचाएं । राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने टीबी ग्रसित बच्चों की मदद की शुरूआत की थी, जिसे देखकर बहुत से संस्थाएं व अधिकारी आगे आये और इन बच्चों को गोद लेकर टीबी की बीमारी से मुक्ति दिलाई । इसी तरह राजभवन में रह रहे बच्चों के लिए कम्प्यूटर सेंटर खुलवाकर उन्हें ट्रेनिंग दिलवा रही हूँ, ताकि वह अपने सपनों को साकार कर सकें । राज्यपाल ने लोगों से अपील की कि वह इन 4050 बच्चों को गोद लेकर उनकी पूरी परवरिश की जिम्मेदारी निभाएं । इसके साथ ही इनमें से दो बच्चों को गोद लेने की उन्होंने इच्छा भी जताई ।
क्या है योजना :
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार स्वाति सिंह ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने बताया कि योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 18 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे । योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए 1.01 लाख (एक लाख एक हजार रूपये) दिए जायेंगे । श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी ।