नयी दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में हंगामे के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल नये मंत्रियों का सदन में औपचारिक रूप से परिचय नहीं करा पाये और उन्हें मंत्रियों के परिचय के दस्तावेज सदन के पटल पर रखने पड़े।
सदन में 11 कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले राष्ट्रगान हुआ और फिर नये नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायी गयी। इसके पश्चात अध्यक्ष ओम बिरला ने नये मंत्रियों का सदन से परिचय कराने के लिए प्रधानमंत्री को पुकारा। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। तीन कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर हो रहे शोरशराबे के बीच अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से आग्रह किया कि सदन की गरिमा एवं परंपरा उच्च रही है। इसे ना तोड़े, परंपरा की गरिमा कम नहीं करें।
संसदीय कार्य मंत्री ने प्रल्हाद जोशी ने भी कहा कि प्रधानमंत्री नये मंत्रियों का परिचय कराना चाहते हैं।
श्री मोदी ने कहा, “मैं सोच रहा था कि आज सदन में उत्साह का वातावरण होगा क्योंकि हमारी कई महिला सांसद मंत्री बनीं हैं। आज मुझे खुशी होती कि दलित भाई, आदिवासी मंत्री बने हैं। सबको खुशी होनी चाहिए कि हमारे बीच जो किसान हैं, ग्रामीण हैं, आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, अन्य पिछड़े वर्ग के हैं, उन्हें मंत्रिपरिषद में मौका मिला है। शायद यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आती है कि दलित महिला किसान मंत्री बनें।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “नवनियुक्त मंत्रियों को लोकसभा में परिचित समझा जाये।” श्री बिरला ने विपक्षी सदस्यों के व्यवहार पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह बिल्कुल अनुचित हैं। नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख सकते हैं।
सदन के उपनेता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “यह सदन की स्वस्थ परंपरा रही है कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रधानमंत्री अपने मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय कराते हैं और पूरा सदन प्रधानमंत्री की बात सुनता है। सदन मंत्रिपरिषद से परिचित होता है। मैंने अपने 24 वर्षों के संसदीय जीवन में पहली बार ऐसा देखा है कि ये स्वस्थ परंपरा तोड़ी गयी है। कांग्रेस का यह आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है।”
हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा की।