देश की सुरक्षा में तैनात अर्धसैनिक बलों और पुलिस की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट तैयार कर ली है। इस किट का निर्माण परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान (आइएनएमएएस) के वैज्ञानिकों ने किया है। इससे परमाणु युद्ध या रेडियोधर्मी विकिरण की वजह से गंभीर रूप के घायल लोगों का इलाज किया जा सकेगा। साथ ही दूसरे लोगों को इनके प्रभाव में आने से रोका जा सकेगा।
आइएनएमएएस के वैज्ञानिकों ने 20 वर्षों के निरंतर प्रयासों से इस किट को तैयार किया है। इस किट में करीब 25 सामग्री हैं, जिनका अलग-अलग इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें विकिरण के असर को कम करनेवाले रेडियो प्रोटेक्टर, बैंडेज, गोलियां, मलहम आदि शामिल हैं।
आइएनएमएएस के निदेशक एके सिंह ने बताया कि स्वदेशी रूप से इस किट का निर्माण पहली बार किया गया है। इससे देश को काफी फायदा होगा। अबतक भारत इस किट को सामरिक रूप से उन्नत राष्ट्रों जैसे रूस और अमेरिका से खरीदता था, जिसके लिए भारी कीमत चुकानी होती थी। इसके विकसित होने से अब कम कीमत में ही इलाज मुमकिन हो सकेगा।
आइएनएमएएस के मुताबिक, फिलहाल यह किट सिर्फ अर्धसैनिक बलों और पुलिस वालों के लिए बनाई गई है, जिनको विकिरण का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इनका इस्तेमाल किसी परमाणु, रासायनिक हमले के दौरान या उसके बाद चलाए जाने वाले बचाव अभियान के दौरान ही किया जाएगा।
संस्थान ने कहा कि कई अर्धसैनिक बल उनके साथ समझौता करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि इसकी निर्बाध आपूर्ति हो सके। एके सिंह के मुताबिक फायदेमंद सौदा नहीं होने की वजह से दवा कंपनियां इस तरह की किट विकसित करने की ओर ध्यान नहीं देती हैं।
किट में हल्के नीले रंग की गोलियां हैं, जो रेडियो सेसियम (सीएस-137) और रेडियो थैलियम आदि के असर को लगभग खत्म कर देती हैं। ये खतरनाक रसायन परमाणु बम का हिस्सा होते हैं, जो मानव शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। यह गोली मानव शरीर में प्रवेश करने वाले विकिरणों को पूरी तरह से अवशोषित कर लेने में सक्षम है। इसमें एक एसिड (ईडीटीए) का इन्जेक्शन भी है, जो परमाणु हमले के दौरान यूरेनियम को शरीर में फैलने से रोकता है। इसमें सीए-ईडीटीए द्रव है, जिसे इंजेक्शन के जरिये शरीर में दिया जाता है।
यह भारी तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देता है। किट में गामा रे के प्रभाव को कम या खत्म करने के लिए मलहम भी है। इस किट के बारे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख राजेश मल्होत्रा का कहना है कि यह किट न सिर्फ सैनिकों, बल्कि सभी के लिए फायदेमंद होगी। यह आतंकी हमलों में घायल लोगों की भी मदद कर सकती है।