धरती से बाहर जीवन मौजूद है या नहीं, इस सवाल के जवाब में दुनिया भर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। वे दूसरे ग्रहों पर पानी, हवा आदि के साक्ष्य तलाश रहे हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं। इसी कड़ी में कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक प्रोग्राम के तहत वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से करीब 72 नए फास्ट रेडियो बस्र्ट (एफआरबी) की खोज की है। एफआरबी रेडियो तरंगों के उत्सर्जन के तीव्र विस्फोट (बस्र्ट) को कहते हैं।
सुदूर स्थित आकाशगंगा से आने वाले इन रेडियो बस्र्ट की अवधि मिली सेकेंड से भी कम की होती है। खोजे गए नए एफआरबी का स्नोत का पृथ्वी से तीन अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर बताया जा रहा है। इससे एलियन की मौजूदगी की संभावना को बल मिला है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के वैज्ञानिकों के अनुसार, एफआरबी की खोज में एआइ के इस्तेमाल से अंतरिक्ष में मौजूद अन्य सभ्यता का पता लग सकता है।
लगातार हो रहा रेडियो बर्स्ट का उत्सर्जन
शोधकर्ताओं का कहना है कि आमतौर पर किसी भी स्नोत से एक बार ही एफआरबी निकलती है, लेकिन एफआरबी 121101 से लगातार रेडियो बस्र्ट का उत्सर्जन हो रहा है। अपने इस विशेष आचरण के कारण इस स्नोत ने कई खगोलविदों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। वैज्ञानिक अब एफआरबी के लिए जिम्मेदार भौतिकी के सिद्धांत का पता लगाने में जुट गए हैं।
तरंगों को सफर है पहेली
माना जाता है कि ये तरंगें सुदूर अंतरिक्ष में हुए रेडियो उत्सर्जन के विस्फोट से उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी पर आतेआते पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं, लेकिन अभी तक इनके उत्पन्न होने के असल कारण का पता नहीं चल सका है। वैज्ञानिक यह भी नहीं जान पाए हैं कि आखिर ये इतना लंबा सफर तय करके धरती तक आती कैसे हैं?
बता दें कि एफआरबी 121101 की खोज 2012 में हुई थी। इस स्नोत से आ चुके करीब 300 रेडियो विस्फोट की पहचान हो चुकी है।
एफआरबी-121102 की पहचान को लेकर सबसे पहली घोषणा पिछले साल हुई थी और इस खोज का श्रेय यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, बर्कले के पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर डॉ. विशाल गज्जर को जाता है। डॉ. विशाल मूल रूप से गुजरात से संबंध रखते हैं।
शोधकर्ता एंड्रयू सिमोन ने कहा, ‘यह खोज उत्साहवर्धक है। इससे हम एफआरबी के व्यवहार को समझ पाएंगे। एआइ तकनीक की मदद से अंतरिक्ष से आने वाले प्रत्येक रेडियो बस्र्ट की पहचान हो पाएगी।’ वैज्ञानिक अब इस तकनीक का इस्तेमाल अंतरिक्ष से आने वाले विभिन्न तरह के सिग्नलों की पहचान में भी कर सकते हैं। एस्ट्रोफिजिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित इस खोज के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि स्रोत अभी भी स्पष्ट नहीं है। उसके बारे में अधिक जानकारी का प्रयास किया जा रहा है।