एकादशी तिथि का भारतीय सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस व्रत से संकल्प और आत्मविश्वास बढ़ता है, देवताओं की कृपा बरसने लगती है और जीवन के सारे दु:ख और संताप कट जाते हैं तब आपका भविष्य उज्ज्वल हो जाता है। ऐेसे कौन से 26 व्रत हैं, जो सभी पापों को नष्ट कर संकटों को खत्म कर देते हैं और व्यक्ति को निरोगी काया, पारिवारिक सुख और धन-समृद्धि देते हैं?
शास्त्रों को पढ़ने के बाद पता चलता है कि ऐसे व्रत कुल 26 होते हैं जिन्हें ‘एकादशी’ कहा गया है। एकादशी की ये 15 बातें आपको जरूर जानना चाहिए। आइए जानें-
1 माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं।
2 पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
3 चैत्र माह में कामदा और वरुथिनी एकादशी होती है। कामदा से राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिलता है और यह सर्वकार्य सिद्धि करती है तो वरुथिनी सौभाग्य देने, सब पापों को नष्ट करने तथा मोक्ष देने वाली है।
4 वैशाख माह में मोहिनी और अपरा आती हैं। यह एकादशी विवाह, सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करती है, साथ ही मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
5 ज्येष्ठ माह में निर्जला और योगिनी एकादशी होती है। निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करना। इसके करने से हर प्रकार की मनोरथ सिद्धि होती है। योगिनी एकादशी से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है।
6 आषाढ़ माह में देवशयनी एवं कामिका होती हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर सुखी बनाता है। कामिका एकादशी का व्रत सभी पापों से मुक्त कर जीव को कुयोनि को प्राप्त नहीं होने देता है।
7 श्रावण माह में पुत्रदा एवं अजा एकादशी होती है। पुत्रदा एकादशी करने से संतान सुख प्राप्त होता है। अजा एकादशी से पुत्र पर कोई संकट नहीं आता, दरिद्रता दूर हो जाती है, खोया हुआ सबकुछ पुन: प्राप्त हो जाता है।
8 भाद्रपद माह में परिवर्तिनी एवं इंदिरा एकादशी आती हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है। पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
9 आश्विन माह में पापांकुशा एवं रमा एकादशी आती हैं। पापांकुशा एकादशी सभी पापों से मुक्त कर अपार धन, समृद्धि और सुख देती है। रमा एकादाशी व्रत करने से सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
10 कार्तिक माह में प्रबोधिनी एवं उत्पन्ना एकादशी आती हैं। देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है। इस दिन तुलसी पूजा होती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से हजार वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इससे देवता और पितर तृप्त होते हैं।
11 मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एवं सफला एकादशी आती है। मोक्षदा एकादशी मोक्ष देने वाली और सफला एकादशी सफल करने वाली होती हैं। सफला व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
12 पौष माह में पुत्रदा एवं षटतिला एकादशी आती हैं। पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। षटतिला एकादशी व्रत रखने से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
13 माघ माह में जया एवं विजया एकादशी आती हैं। जया एकादशी व्रत रखने से ब्रह्महत्यादि पापों से छूट व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है तथा भूत, पिशाच आदि योनियों में नहीं जाता है। विजया एकादशी से भयंकर परेशानी से छुटकारा पाता है और इससे शत्रुओं का नाश होता है।
14 फाल्गुन माह में आमलकी एवं पापमोचिनी एकादशी आती हैं। आमलकी एकादशी में आंवले का महत्व है। इसे करने से व्यक्ति सभी तरह के रोगों से मुक्त हो जाता है, साथ ही वह हर कार्य में सफल होता है। पापमोचिनी एकादशी व्रत से पाप का नाश होता है और संकटों से मुक्ति मिलती है।
15 अधिक मास माह में पद्मिनी (कमला) एवं परमा एकादशी आती हैं। पद्मिनी एकादशी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, साथ ही यह पुत्र, कीर्ति और मोक्ष देने वाला है। परमा एकादशी धन-वैभव देती है तथा पापों का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करने वाली होती है।