एक पीएसए प्लांट शुरू होने में कम से कम 40 दिन लग रहे

 देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते नए मामलों के बाद ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत एवं इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में ऑक्सीजन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने सभी राज्यों में 162 प्रेशर स्विंग एब्साप्र्शन (पीएसए) ऑक्सीजन संयंत्र लगाने को मंजूरी दे दी है। पीएसए संयंत्र ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और अस्पतालों को चिकित्सा ऑक्सीजन की अपनी जरूरत के हिसाब से आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं। इनसे चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर नेशनल ग्रिड पर बोझ भी घटेगा। लेकिन एक पीएसए प्लांट लगाने में कम से कम 40 दिन लग रहे है। आइए, जानते हैं यह संयंत्र कैसे काम करेगा? कहां-कहां लग चुका है और इन संयंत्रों से कब तक मिलने लगेगी ऑक्सीजन?

तीन साल की वारंटी और सात साल तक रखरखाव करेगी केंद्र सरकार

सरकार ने बताया कि 59 ऐसे संयंत्र अप्रैल के आखिर तक तथा 80 मई के आखिर तक लगाए जाएंगे। उसके अनुसार, इसके अलावा 100 ऐसे और संयंत्रों का राज्यों ने अनुरोध किया है जिन्हें भी मंजूरी दी जा रही है। मंत्रलय ने ट्वीट में कहा, 162 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों की लागत राशि 201.58 करोड़ रुपये का वहन केंद्र सरकार करेगी। इसके साथ ही, तीन साल की वारंटी के बाद चौथे साल से सात साल तक रखरखाव में आने वाला खर्च भी केंद्र ही वहन करेगा।

पीएसए तकनीक कैसे काम करता है?

ऑक्सीजन पीएसए जेनरेटर ऑक्सीजन को वायुमंडलीय हवा से दबाव स्विंग के जरिये सोखना तकनीक से अलग करता है। कंप्रेस्ड हव्ंां, जिसमें लगभग 21 फीसद ऑक्सीजन और 78 फीसद नाइट्रोजन होते हैं, को जिओलाइट आणविक छलनी से होकर गुजारा जाता है, जिससे ऑक्सीजन अलग हो जाता है।

12 राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग ज्यादा

देश के 12 राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेहद गंभीर है। इन 12 राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग ज्यादा है।

पीेएसए तकनीक क्या है?

ऑक्सीजन प्लांट औद्योगिक सिस्टम हैं जो ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। वे आमतौर पर हवा को एक फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करते हैं और इसे हवा के अन्य घटकों से तकनीक का उपयोग करअलग करते हैं।

गुजरात में इफ्को लगा रहे है नि:शुल्क प्लांट

कोऑपरेटिव फर्टिलाइजर कंपनी ने मौजूदा महामारी से पैदा हुए हालात में मदद के लिए गुजरात में ऑक्सीजन प्लांट लगाने जा रही है। अस्पतालों को मुफ्त में ऑक्सीजन की सप्लाई करेगी। रविवार को इफ्को के प्रबंध निदेशक और सीईओ यू एस अवस्थी ने ट्वीट में लिखा, देश को अपनी सेवा देने के लिए इफ्को प्रतिबद्ध है। हम गुजरात के कलोल यूनिट में 200 क्यूबिक मीटर/घंटे की क्षमता से उत्पादन के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं। इफ्को मुफ्त में इस ऑक्सीजन को अस्पतालों को देगा। ऑक्सीजन का एक सिलेंडर 46.7 लीटर का होगा।

उज्जैन के सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल ने बताया कि उज्जैन के चरक अस्पताल में करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत वाला प्लांट है, जहां प्रतिदिन करीब 160 सिलेंडर ऑक्सीजन बन रही है। जबकि कंपनी ने 175 सिलेंडर प्रतिदिन बनाने का दावा किया था। 25 जनवरी को प्लांट का सामान आया था। एक महीने में इसका बेस तैयार किया गया लेकिन बजट नहीं आने के कारण प्लांट को इंस्टॉल नहीं किया किया जा सका था। 27 मार्च 2021 को भोपाल से 3.50 लाख रुपये का बजट आया । 10 अप्रैल से प्लांट में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो गया।

 

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