पूरे देश में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना के करीब 2 लाख नए मामले सामने आए हैं, जबकि लगातार दूसरे दिन एक हजार से अधिक मौतें हुई हैं। कोरोना के पॉजिटिव मामले बढ़ने के मुकाबले कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की दर में गिरावट आई है। मृत्यु दर में भी नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। लोगों के अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है।
दिल्ली में अंतिम संस्कार के लिए कई घंटों का इंतजार
पिछले चार दिनों में राजधानी दिल्ली में अकेले 240 मौतें हुईं हैं, जिससे श्मशान और कब्रिस्तान दोनों जगहों पर अंतिम संस्कार के लिए भीड़ लगी हुई है। दिल्ली के आईटीओ पर सबसे बड़े कोविड कब्रिस्तान में शवों को दफनाने के लिए जमीन कम पड़ने लगी है, वहीं, श्मशान घाटों पर चिताएं बुझने का नाम नहीं ले रही हैं। निगमबोध घाट का आलम ये है कि शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को कई घटों तक इंतजार करना पड़ रहा है। यहां एक साथ चार चिताएं जल रही हैं, और पांचवी जलने के लिए इंतजार में हैं। निगमबोध घाट के पार्किंग में कई एंबुलेंस खड़ी थी, जिसमें कोरोना से मरे लोगों के शव इंतजार में थे।
दिल्ली शहर के मुख्य श्मशान निगमबोध घाट का संचालन करने वाले बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल संगठन के महासचिव सुमन गुप्ता ने कहा कि कोरोना के कारण शवों की संख्या बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर यहां रोज करीब 50-60 शव की अंत्येष्टि होती है, अब यह संख्या बढ़कर 80 हो गयी है। निगमबोध घाट में अंत्येष्टि के लिए 22 स्थान हैं जहां पर चिता जलायी जाती है और वायरस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों के दाह-संस्कार के लिए सीएनजी चालित छह भट्ठियों का इस्तेमाल हो रहा है.
दिल्ली शहर के मुख्य श्मशान निगमबोध घाट का संचालन करने वाले बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल संगठन के महासचिव सुमन गुप्ता ने कहा कि कोरोना के कारण शवों की संख्या बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर यहां रोज करीब 50-60 शव की अंत्येष्टि होती है, अब यह संख्या बढ़कर 80 हो गयी है। निगमबोध घाट में अंत्येष्टि के लिए 22 स्थान हैं जहां पर चिता जलायी जाती है और वायरस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों के दाह-संस्कार के लिए सीएनजी चालित छह भट्ठियों का इस्तेमाल हो रहा है.
उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश ने कहा कि उन्होंने सीएम अरविंद केजरीवाल को एक चिट्ठी लिखकर दफनाने के लिए जमीन की व्यवस्था करने में मदद मांगी है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के शिकार हुए लोगों को दफनाने के लिए गहरी कब्र खोदनी पड़ती है और लोगों से खुदाई कराने पर लंबा समय लग जाएगा इसलिए जमीन खोदने वाली मशीनों की जरूरत है।
भोपाल में भी बढ़ा कोरेाना से मौत का आंकड़ा
कोरोना की दूसरी के कहर के बीच मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। भोपाल स्थित विश्रामघाटों एवं कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करने के लिए जगह की कमी सहित कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से यहां विश्रामघाटों एवं कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करने के लिए लाये जाने वाले शवों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
भदभदा विश्राम घाट का करना पड़ा विस्तार
भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने बताया कि पिछले चार दिनों में हमने भदभदा विश्राम घाट में करीब 200 शवों का अंतिम संस्कार किया। इनमें से कई लोगों का अंतिम संस्कार कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया। अब हमने पास में ही दो एकड़ जमीन पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। भदभदा विश्राम घाट प्रदेश की राजधानी भोपाल में हिन्दुओं के बड़े श्मशान घाटों में से एक है।
शर्मा ने कहा, ‘स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कम से कम 58 शवों का दाह संस्कार मंगलवार को किया गया, जिनमें से 57 शवों का कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, जबकि बुधवार शाम तक 50 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने विश्राम घाट से लगे खुले जगह पर 30 अतिरिक्त चितास्थल बनाकर उन पर अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया है। अगले दो-तीन दिनों में इस श्मशान घाट से लगे अन्य जमीन पर 20 और चितास्थल बनाएंगे।
लखनऊ में कोरोना के साथ-साथ सामान्य मौतें बढ़ीं
लखनऊ के भैसाकुंड श्मशान घाट पर पिछले सात दिनों से काफी संख्या में सामान्य शवों के पहुंचने से महापात्र भी आश्चर्यचकित हैं? कोविड संक्रमित शवों की तरह ही अब नॉन कोविड शवों की संख्या कम नहीं हो रही है। महापात्र राजेंद्र मिश्र का कहना है कि अभी तक सामान्य दिनों में 15 से बीस शव ही आते थे। पिछले सात दिनों में चालीस से लेकर 55 तक नॉन कोविड शव आ रहे हैं। महापात्र का यह सवाल ही इस हकीकत पर भी मुहर लगा रहा है कि कोरोना संक्रमण की जांच न होने और इलाज मिलने के अभाव में भी लोग घरों में दम तोड़ रहे हैं। घर वाले भी नॉन कोविड शव बताकर उनका दाह संस्कार सामान्य श्मशानघाट पर कर रहे हैं।
लखनऊ के गुल्लालाघाट पर भी सामान्य दिनों में सात से आठ शव ही पहु़ंचते थे, लेकिन पिछले सात दिनों में नॉन कोविड शवों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। पिछले बुधवार को ही नॉन कोविड शव 61 हो गए थे। महापात्र विनोद पांडेय का कहना है कि पहली बार इतने शव आ रहे हैं। वैसे गुल्लालाघाट पर सामान्य दिनों में सात से आठ शव ही आते थे और कभी-कभी यह संख्या दस के करीब हो जाती थी लेकिन हर दिन चालीस से पैतालिस शव आ रहे हैं और बुधवार को 61 नॉन कोविड शव आ गए।
छत्तीसगढ़ में शवों को जलाने के लिए जगह कम पड़ी
छत्तीस में मृतकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार तक के लिए परिजनों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के अंबेडकर अस्पताल में शव रखने की भी जगह नहीं बची है। यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। दुर्ग जिला हो या बिलासपुर, शवों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधामों में जगह तक नहीं मिल पा रही। शवों को जलाने के लिए जगह कम पड़ रही हैं। वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में जिला प्रशासन से बात की गई है। शवों को रखने की अधिक व्यवस्था किए जाने का उन्होंने भरोसा जताया है।
अहमदाबाद के श्मशान घाट में वेटिंग, सूरत में कब्रों की एडवांस खुदाई
गुजरात के अहमदाबाद और सूरत शहर में कोरोना फिर कहर बनकर टूटा है। संक्रमण के केसों ने अब तक के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। आलम यह है कि श्मशानों में जहां 10 से 12 घंटे की वेटिंग है, वहीं कब्रिस्तान में जेसीबी से खुदाई कराकर एडवांस में कब्रें तैयार की जा रही हैं। अहमदाबाद के सीएनजी संचालित शवदाह गृह में 10-12 घंटे की वेटिंग चल रही है। व्यापार मंडल ने श्मशान घर में लोगों से शवदाह के लिए लकड़ियां दान करने की भी अपील की है।
सूरत में कब्रों की एडवांस खुदाई
सूरत के रामपरा कब्रिस्तान के प्रबंधक मोहम्मद आसिफ बताते हैं कि पहले दो-तीन शव आते थे, लेकिन अब 10-12 रोज आते हैं। एक कब्र खोदने में छह-सात घंटे लगते हैं। मजदूरों की कमी के कारण अब जेसीबी से एडवांस में कब्रें खुदवा कर रख रहे हैं।