अमेरिका ने भारत के साथ अपने पहले टू प्लस टू वार्ता को महत्वपूर्ण रणनीतिक मुकाम बताया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि रूस से एस-400 ट्राइएम्फ मिसाइल सिस्टम की खरीद या ईरान के सामरिक चाबहार पोर्ट को लेकर फिलहाल भारत को कोई रियायत नहीं दी गई है.
टेलीकॉन्फ्रेंस के द्वारा पत्रकारों को संबोधित करते हुए सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्रालय के दक्षिण और केंद्रीय एशियाई मामलों के ब्यूरो में प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस वेल्स ने बताया कि एस-400 पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन अमेरिका इस बात को समझता है कि रूस के साथ प्रतिरक्षा रिश्तों के मामले में भारत के सामने ‘विरासत’ के मसले है.
गौरतलब है कि ‘काउंटरिंग अमेरिकाज ऐडवर्सरीज थ्रू सैक्सन्स एक्ट’ (CAATSA) को लागू करने की वजह से अमेरिका ने रूस और ईरान दोनों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. इसके अलावा ईरान के साथ छह देशों के न्यूक्लिर डील से अमेरिका बाहर हो गया है.
उन्होंने कहा, ‘भारतीय नेतृत्व के साथ हमारी बातचीत जारी है. हम इस पर काम कर रहे हैं कि रूस अपने व्यवहार में जिम्मेदारी दिखाए. विदेश मंत्री पोम्पिययो ने कहा है कि इस तरह के प्रतिबंधों का इरादा भारत जैसे देश पर विपरीत असर डालने का नहीं है. ये रूस पर असर डालने के लिए हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कानून में किसी खास देश को छूट देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन इस पर अलग-अलग देश के मामले में विचार हो सकता है.’
भारत सरकार के सूत्रों ने इंडिया टुडे-आजतक से कहा कि इस बातचीत से अमेरिका को यह समझाने में मदद मिली है कि दोनों देशों के द्वारा इस बारे में होने वाले निर्णय पारदर्शी होने चाहिए.
ईरान के चाबहार पोर्ट के मामले में वेल्स ने कहा कि अमेरिका भारत के इस मामले में सुझाव पर विचार कर रहा है. हालांकि, अमेरिका चाहता है कि सभी देश ईरान से कच्चे तेल के अपने आयात को ‘जितनी जल्दी संभव हो’ शून्य पर लाएं.
गौरतलब है कि पहली भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता 6 सितंबर को नई दिल्ली में हुई थी, जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तथा अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री जिम मैटिस के बीच बातचीत हुई थी.