-आशुतोष दीक्षित
उन्नाव : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर प्रारम्भ होता है। 2078 नवसंवत्सर 13 अप्रैल 2021 से शुरू हुआ। सनातन धर्म के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। पूर्व का प्रमादी सम्वत्सर समाप्त होकर आनन्द नव संवत्सर में प्रवेश करेगा। परन्तु ब्रहस्पति ग्रह के राशिभोग के कारण आनन्द लुप्त सम्वत्सर के रूप में ग्राह्य हुआ।अतः 2078 राक्षस नाम से प्रवर्तित हुआ।कुछ अल्प पंचागकार वर्ग लुप्त सिद्धान्त को नही मानते हैं।उस परम्परा के अनुयायी कुछ पंचांगों में आनंद नाम का उल्लेख है।यद्यपि अधिकांश पंचांग में राक्षस नाम का ही उल्लेख है।
वास्तव में हमारे धर्म ग्रन्थों में 60 संवत्सरों के नाम का उल्लेख किया गया है, जो क्रमवार चलते हैं। यह सम्वत्सर 20-20 वर्ष के कालखण्ड जो क्रमशः ब्रम्हविंशति, विष्णुविंशति तथा रुद्रविंशति में विभक्त होते हैं। प्रमादी रुद्रविंशति का 7वा सम्वत्सर है, जिसके बार नियमतः आनन्द आना चाहिए।बृहज्ज्योति सार का षष्ठ श्लोक जो रुद्र विंशति के सम्वत्सर की गणना करता हुआ कहता है-
“प्लवङ्ग: कीलक: सौम्य: साधरणविरोधकौ।
परिधावी प्रमादी च आनन्दो राक्षसो नल: ।।”
परन्तु ब्रहस्पति ग्रह के राशिभोग के कारण आनन्द लुप्त सम्वत्सर के रूप में ग्राह्य हुआ।अतः सम्वत्सर 2078 राक्षस नाम से प्रवर्तित हुआ।