रूसी निर्मित कोविड वैक्सीन स्पुतनिक वी को भारत में मंजूरी मिल गई है। वहीं, खबर के मुताबिक, देश में पांच फार्मा कंपनियों द्वारा स्पुतनिक वी की वैक्सीन को बनाया जाएगा और सालाना 850 मिलियन (85 करोड़) खुराक का उत्पादन होने जा रहा है। इसे अलावा बताया जा रहा है कि अप्रैल के अंत तक भारत को इस वैक्सीन की खुराक मिल सकती है।
भारत के ड्रग रेगुलेटर, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की एक विशेष समिति द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद रूसी वैक्सीन को मंजूरी दी गई। केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की विषय विशेषज्ञ समिति ने सोमवार को देश में घातक दूसरी लहर के बाद इसको मंजूरी दी है। बता दें कि कई राज्यों में वैक्सीन की कमी को लेकर बवाल मचा हुआ है।
डॉ रेड्डीज द्वारा भारत में निर्मित स्पुतनिक वी 91.6 फीसद तक प्रभावी है। दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने स्पुतनिक-वी को पूरी तरह सुरक्षित और संक्रमण रोकने में कारगर पाए जाने के बाद ही इसे हरी झंडी दी है। बताया गया कि यह मॉडर्न और फाइजर के बाद सबसे अधिक प्रभाव है। वहीं, वैक्सीन भारत में पहले से ही क्लीनिक ट्रायल के तीसरे चरण में है और डॉक्टर रेड्डी ने फरवरी में वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग को मंजूरी देने के लिए आवेदन किया था। बता दें कि अब तक की सबसे प्रभावी इस वैक्सीन को 59 देशों में इजाजत मिल चुकी है। अब भारत 60वां देश है।
एक बयान में, रूस के आरडीआईएफ (रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष) ने कहा कि भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है जहां रूसी टीका को मंजूरी मिल गई है। कुल 60 देशों की आबादी जहां स्पुतनिक वी को उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है, जिसमें 3 बिलियन लोग या वैश्विक आबादी का लगभग 40 प्रतिशत है।
आरडीआईएफ भारत में जिन पांच दवा कंपनियों के साथ एक बड़ी मात्रा में वैक्सीन बनाने जा रही है, उसमें ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पैनेशिया बायोटेक, स्टेलिस बायोपार्मा, विरचो बायोटेक हैं। उद्देश्य प्रति वर्ष 850 मिलियन से अधिक खुराक का उत्पादन करना है। बता दें कि देश में फिलहाल एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड व भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन से टीकाकरण किया जा रहा है। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक इन दोनों के मुकाबले ज्यादा असरकारी बताई जा रही है।