उत्तराखंड में अगले माह से चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। कोरोना संक्रमण के बीच शुरू हो रही इस यात्रा में कई तरह की चुनौतियां रहेंगी। सबसे बड़ी चुनौती स्वास्थ्य सुविधाओं को मुहैया कराने और श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय निवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने की होगी। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार तैयारियों में भले ही जुट गई है, लेकिन यात्रा का फैसला उस समय की परिस्थिति के हिसाब से ही हो सकेगा।
उत्तराखंड में देश के प्रमुख धाम व तीर्थ स्थल हैं। यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, यानी चारधाम यात्रा को आते हैं। इसी अवधि में हेमकुंड साहिब के लिए भी यात्रा शुरू होती है। यहां भी लाखों की संख्या में सिख श्रद्धालु आते हैं। चारधाम व हेमकुंड साहिब यात्रा मई से शुरू होकर अक्टूबर व नवंबर तक चलती है। इस यात्रा के चलने से न केवल प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि स्थानीय निवासियों को रोजगार भी मिलता है। बीते वर्ष कोरोना के कारण चारधाम यात्रा जुलाई में शुरू हो पाई थी, लेकिन इसमें इतना उत्साह नहीं दिखा। बेहद सीमित संख्या में ही लोग चारधाम यात्रा करने पहुंचे।
इस वर्ष की शुरुआत में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रित थी। इसे देखते हुए चारधाम यात्रा को लेकर बड़े जोर शोर से तैयारियां भी शुरू की गईं। अब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही यात्रा को सुरक्षित बनाने की चिंता भी शुरू हो गई है। दरअसल, सरकार ने अभी होने वाले बड़े धार्मिक आयोजनों को लेकर काफी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। इसमें आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया गया है। कुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण के तेज होने की आशंका शासन भी जता रहा है। कुंभ 30 अप्रैल को समाप्त होगा। इसके बाद चारधाम यात्रा शुरू होनी है। कोरोना संक्रमण की यदि यही गति रही तो फिर यात्रा पर संकट के बादल छा सकते हैं।
कारण यह कि चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में बुजुर्ग श्रद्धालु आते हैं। इनके लिए पूरे यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त किया जाता है। कोरोना संक्रमण तेज होने की स्थिति में ऐसा करना बहुत आसान नहीं होगा। माना जा रहा है कि सरकार उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए यात्रा को नियंत्रित करने का निर्णय ले सकती है। हालांकि, सरकार ने अभी चारधाम यात्रा में अवस्थापना सुविधाओं को विकसित करने के लिए तकरीबन पांच करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।