वित्तीय लेनदेन को वैश्विक तौर पर ट्रैक करना अक्सर मुश्किल होता है। ऐसा तब और कठिन हो जाता है जब दुनिया भर में कई कंपनियों की कोई मानक पहचान नहीं होती। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंक फ्रॉड को रोकने के लिए एक टूल लेकर आया है, जिसे एलईआई नाम दिया गया है।
LEI 20 अंकों का एक ग्लोबल रेफरेंस नंबर है जिससे किसी कंपनी की पहचान होती है। LEI को दुनिया भर में बेहतर वित्तीय डेटा की गुणवत्ता और सटीकता में सुधार के लिए जाना जाता है।
ग्लोबल लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर फाउंडेशन (जीएलईआईएफ) एलईआई का रेगुलेटर है। फाउंडेशन की देखरेख एलईआई रेगुलेटर ओवरसाइट कमेटी द्वारा की जाती है। यह संयुक्त रूप से वैश्विक वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ काम करते हैं।
- यह लेनदेन के लिए विशिष्ट रूप से पार्टियों की पहचान करता है।
- वित्तीय डेटा की सटीकता और गुणवत्ता में सुधार करता है।
- लेनदेन ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है।
- बैंकों को प्रभावी रूप से लोन की निगरानी करने में मदद करेगा।
- एक ही व्यक्ति को बार-बार लोन देने से रोकेगा।
- कॉर्पोरेट समूहों द्वारा कुल उधार का मूल्यांकन करेगा।
- एक फर्म के लिए पहचान के सबूत के रूप में कार्य करेगा।
- रेगुलेटर की लेनदेन की रिपोर्टिंग करेगा।
- एलआईआई की संरचना आईएसओ मानक 17442 द्वारा निर्धारित की जाती है।
- बैंकों को उधारकर्ता से एलआईआई नंबर लेना होगा और सीआरआईएलसी को रिपोर्ट करना होगा। इसमें लोन का एक डेटाबेस जहां 5 करोड़ रुपये से ऊपर के लोन का विवरण होगा। सीआरआईएलसी सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों से नॉन पर्फोमिंग एसेट (एनपीए) पर डेटा एकत्र करता है और हानि के बारे में जानकारी देता है। अब तक भारतीय संस्थाओं के लिए 12,232 लीआई जारी किए गए हैं।