वाराणसी : रंगभरी एकादशी से काशी में होली की मस्ती लोगों में चढ़ने लगी है। पर्व पर जहां एक ओर लोग बाबा विश्वनाथ के गौने में शामिल होने के लिए हर्बल अबीर-गुलाल लेकर दर्शन पूजन की व्यवस्था में जुटे रहे। वहीं, गंगा घाटों पर होली पर्व पर नावों और बजड़े के संचालन पर लगी रोक को देख युवाओं और कवियों की टोली ने दशाश्वमेध घाट पर बजड़ों पर होली की महफिल सजा एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाने के बाद फाग गीतों पर जमकर मस्ती की। परम्परागत होली गीतों को बाबा विश्वनाथ को समर्पित करने के बाद हास्य से भरी कविताओं के प्रस्तुति के बीच ढोलक और तबले की थाप ने समा बांध दिया। कवियों ने देश के वर्तमान हाल, कोरोना काल, बंगाल चुनाव पर आधारित हास्य रस की कविताओं से घाट पर मौजूद लोगों को खूब गुदगुदाया। उधर,रंगों के पर्व का उत्साह बाजारों में भी दिखने लगा है। होली पर्व 29 मार्च को है। पर्व पर बाजारों में आकर्षक पिचकारियों के साथ ही तरह-तरह के मुखौटे भी जगह-जगह अस्थाई दुकानों पर बिक रहे हैं। केमिकल रंगों के साथ हर्बल रंगों की मांग भी है। कोरोना संकट को देखते हुए लोगों की पसंद हर्बल रंग बना हुआ है। बच्चे अपने अभिभावकों के साथ पिचकारी खरीदने लगे है।