- छ्ह माह तक दें केवल माँ का दूध, निमोनिया-डायरिया न आएगा पास
बाराबंकी। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराएं। मां का दूध शिशु के लिए प्राकृतिक टीकाकरण का काम करता है, इसके अलावा सुपाच्य होने के कारण बच्चे को पेट की कोई तकलीफ भी नहीं होती है। इस अवधि में शिशु को पानी भी न पिलाएं। शिशु को मां के दूध से न केवल बच्चे के लिए जरूरी पोषण मिल जाता है बल्कि प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। यह बातें जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) प्रकाश कुमार चौरसिया ने कहीं। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को कम से कम दो वर्ष तक आवश्यक रूप से स्तनपान कराना जरूरी है। छह माह के बाद शिशु को स्तनपान के साथ-साथ हल्का पूरक आहार दिया जाना चाहिए।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत जनपद में 31 मार्च तक पोषण पखवाड़े के तहत विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि कोविड प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए गृह भ्रमण के दौरान स्तनपान को लेकर धात्री महिलाओं की काउंसलिंग करती रहें। उन्हें बताएं कि छह माह तक शिशु को पानी भी नहीं पिलाना है, केवल स्तनपान से शिशु के लिए जरूरी पोषण की पूर्ति हो जाती है। उन्हें बताएं कि स्तनपान कराना शिशु और मां, दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसके अलावा मां और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए दो बच्चों के बीच कम से तीन वर्ष का सुरक्षित अंतर जरूर रखें।
छह माह के बाद जरूरी है पूरक आहार :
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मृदुल पाण्डेय का कहना है कि छह माह के बाद शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार देना भी जरूरी हो जाता है। शुरू में बच्चे को नरम खिचड़ी, मसला हुआ आहार या दाल का पानी रोजाना दो से तीन चम्मच दिन में दो से तीन बार दें। नौ माह की आयु होने पर इसे बढ़ाकर आधी कटोरी (चार से पांच चम्मच) कर दें, लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि पहले स्तनपान कराएं और उसके बाद ही ऊपरी आहार दें। यानि ऊपरी आहार के लिए मां के दूध में कटौती न करें।
गाढ़ा-पीला दूध (कोलस्ट्रम) अवश्य पिलाएं :
जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध (कोलस्ट्रम) अवश्य पिलाएं। यह रोगों के प्रति पहला टीकाकरण होता है, जो उसकी तमाम रोगों से रक्षा करता है। कई परिवारों में उसे गंदा मानकर शिशु को नहीं पिलाया जाता है, यह गलत है। शिशु से प्रकृति प्रदत्त पहला टीका न छीनें। शहद या घुट्टी बिल्कुल न पिलाएं।
बच्चे को स्तनपान कराने के फायदे :
स्तनपान शिशुओं के लिए सबसे प्राकृतिक भोजन पद्धति है और इसके बहुत से लाभ हैं, क्योंकि माँ के दूध में शिशुओं के लिए सही मात्रा में आवश्यक हर पोषक तत्व होता है। स्तनपान से होने वाले लाभ कुछ इस प्रकार हैं।
- पोषण का पूर्ण स्रोत मिलता है।
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- माँ के साथ संबंध बेहतर करता है।
- दस्त को कम करता है।
- एस.आई.डी.एस. के खतरे को कम करता है।
- मस्तिष्क का बेहतर विकास करता है।