कृषि कानूनों के विरोध में 26 मार्च को ‘भारत बंद’ में राष्ट्रीय राजधानी का साथ मिलने की उम्मीद काफी कम है, क्योंकि कोरोना की मार झेलते बाजारों को होली पर त्योहारी बिक्री से उम्मीदें हैं। अगर बंद में शामिल हुए तो कारोबार के लिहाज से होली फीकी चली जाएगी। उसमें भी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के चलते दिल्ली के व्यापार-उद्योग की हालत खस्ता है। वैसे, बंद में शामिल होने को लेकर व्यापारियों ने कोई अंतिम निर्णय नहीं किया है। अभी आपस में रायशुमारी का ही दौर चल रहा है। आंदोलनकारियों ने भी इस मुद्दे को लेकर अब तक व्यापारियों से संपर्क नहीं किया है।
व्यापारियों के संगठन चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के चेयरमैन बृजेश गोयल व अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि कुछ दिन में 100 से ज्यादा व्यापारिक संगठनों के लोगों ने इस संबंध में संपर्क किया है। फिलहाल, बंद में शामिल होने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
सीटीआइ के महासचिव व कश्मीरी गेट आटोमोटिव पाट्र्स मर्चेट एसोसिएशन के निवर्तमान अध्यक्ष विष्णु भार्गव ने कहा कि वर्तमान स्थिति में व्यापारी किसी भी तरह के बंद के पक्ष में नहीं हैं। कोरोना के कारण व्यापारियों ने पहले ही काफी नुकसान झेला है। ऊपर से होली का त्योहार नजदीक है तो बाजार में थोड़ा व्यापार बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में एक दिन का बंद काफी नुकसान पहुंचाएगा।
व्यापार में नुकसान का हवाला देते हुए ही इन्हीं आंदोलनकारियों के पहले के ‘भारत बंद’ तथा 26 फरवरी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में हुए संशोधनों के विरोध में कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के ‘भारत व्यापार बंद’ से भी दिल्ली के व्यापारियों ने किनार किया था। फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र शर्मा व टैंक रोड के कपड़ा कारोबारी रमेश आहूजा ने कहा कि हम उनकी चिंताओं के साथ हैं और चाहते हैं कि आंदोलन का जल्द समाधान निकले, जिससे कारोबार के साथ दिल्ली का जनजीवन पटरी पर आए, पर दिल्ली का व्यापारी बंद को लेकर कभी भी सहज नहीं होता है।