लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध शराब की बिक्री में संलिप्त लोगों की सम्पत्ति जब्त करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी गुरुवार देर रात रात वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सूबे के जिलाधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अवैध शराब की बिक्री, पंचायत चुनाव, होली का त्योहार और कोविड नियंत्रण को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अवैध शराब बिक्री की गतिविधियों में पूर्व में सक्रिय रहे लोगों पर भी नजर रखी जाए। साथ ही अवैध शराब से जनहानि की सूचना मिलने पर बीट के सिपाही से लेकर हल्के का दरोगा, थानाध्यक्ष और संबंधित आबकारी अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मामले में ऐसी कार्रवाई हो जो औरों के लिए सबक बने। अवैध शराब की बिक्री की सूचना देने के लिए उन्होंने आबकारी विभाग को टॉल फ्री नंबर जारी करने का निर्देश दिया और कहा कि यह व्यवस्था 24 घंटे जारी रहनी चाहिए। योगी ने कहा कि प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। आबकारी विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन को इस संबंध में सघन चेकिंग करनी होगी। इसके लिए इंटेलिजेंस को भी सुदृढ़ करना होगा। ग्राम चैकीदार के स्तर पर सूचना एकत्रित की जाए। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अवैध शराब से दुष्प्रभावित व्यक्ति को यथाशीघ्र समुचित चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संक्रमण का बढ़ता प्रसार हमारे लिए चेतावनी है।
कई राज्यों में स्थिति एक बार फिर खराब हो रही है। हमें ‘टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट’ के मंत्र को आत्मसात करना होगा। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की महत्ता को समझें। यह संक्रमण प्रसार की रोकथाम के महत्वपूर्ण माध्यम है। एक संक्रमण की पुष्टि पर उसके संपर्क में आये न्यूनतम 15 व्यक्तियों तक ट्रेसिंग की जाए। सभी का पहले एंटीजन टेस्ट और संदिग्ध का आरटीपीसीआर टेस्ट कराए जाएं। होली के दृष्टिगत 23 से 27 मार्च के बीच फोकस्ड ट्रेसिंग भी कराई जाए। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण से बचाव के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। संक्रमण के प्रसार को न्यूनतम रखने के लिए लोगों को ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ के मंत्र की जरूरत समझाई जाए। इस कार्य में पब्लिक एड्रेस सिस्टम, बेसिक शिक्षा स्कूलों के व्हाट्सएप ग्रुप जैसे माध्यमों का प्रयोग जनजागरूकता में बेहतर हो सकता है। जनपदों में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर सतत संचालित रहें।