नई दिल्ली : रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के निजीकरण की आशंकाओं को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होगा और यह भारत सरकार की ही रहेगी। रेलमंत्री ने लोकसभा में वर्ष 2020-21 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन विनियोग मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की बजट में रेल परियोजनाओं की हवा-हवाई घोषणा होती थी। उसे जमीन पर नहीं उतारा जाता था। रेलमंत्री ने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार ने रेलवे को भविष्य के लिए तैयार करने को लेकर नेशनल रेलवे प्लान 2030 तैयार किया है। इस प्लान के तहत जो प्रोजेक्ट तेजी से चलने चाहिए, जिनकी अति आवश्यकता है, उन्हें सुपर क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है और कुछ को क्रिटिकल प्रोजेक्ट की श्रेणी में रखा गया है।
उन्होंने पहले की मनमोहन सरकार का नाम लिए बिना कहा कि वर्ष 2004 से वर्ष 2009 के बीच लगभग सवा लाख करोड़ निवेश हुआ, जो वर्ष 2009 से वर्ष 2014 के बीच बढाकर 2 लाख 30 हजार करोड़ किया गया। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेलवे पर विशेष ध्यान देते हुए 2014 से 2019 के बीच लगभग पांच लाख करोड़ रुपये निवेश किया। उन्होंने कहा कि पहले बजट में योजनाओं की घोषणा होती थी। लोगों की अपेक्षायें थी कि घोषणा हो गयी तो योजना जमीन पर उतरेगी, लेकिन वास्तविकता थी कि न कोई अप्रूवल था, न जमीन थी और न पैसा था। स्थिति यह थी कि घोषणायें होती रहती थी और लोगों को गुमराह किया जाता था।
गोयल ने कहा कि मोदी सरकार में उन प्रोजेक्ट्स को जो 70 से 80 प्रतिशत पूरे हो गए थे, लेकिन पैसे के अभाव में अधर में लटके हुए थे, उन्हें प्राथमिकता दी गयी। जरूरतों का ध्यान रखते हुए पोर्ट से और कोयला खदानों से कनैक्टिविटी को वरीयता देते हुए कार्य किया गया। आगे उन्होंने रेलगाड़ियों और रेलवे स्टेशनों पर किए गए विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सकार ने रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं में सुधार किया। एलईडी लाइट्स लगाई गई। एस्केलेटर और लिफ्ट लगाए, टॉयलेट्स बनाए गए। उन्होंने कहा कि हमें आधुनिक स्टेशन बनाने हैं तो उस पर निवेश करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि रेलवे में निजी निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए ।