फेसबुक पर कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ी अफवाहों के प्रसार को लेकर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि इसके लिए यूजर का एक छोटा समूह जिम्मेदार है। वह समूह न सिर्फ अफवाह फैलाता रहा, बल्कि लोगों को कोविड वैक्सीन के प्रति हतोत्साहित भी करता रहा। फेसबुक की तरफ से कराए गए आंतरिक अध्ययन में पाया गया कि 638 समूहों में से सिर्फ 10 ही 50 फीसद अफवाह फैलाने वाली सामग्री के लिए जिम्मेदार थे और सिर्फ 111 यूजर इनका प्रसार कर रहे थे।
क्यूएनॉन समूह से भी जुड़े तार
द वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक के अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर दुष्प्रचार और लोगों में हिचकिचाहट पैदा करने वालों का क्यूएनॉन नामक समूह से भी जुड़ाव है। क्यूएनॉन अमेरिका का एक दक्षिणपंथी समूह है, जिसकी चर्चा राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी जोरों पर रही थी।
टीकाकरण में हिचकिचाहट बड़ी बाधा
रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि यह अध्ययन उस विचार को समझने का बड़ा प्रयास है जो वैक्सीन के सही होने के बावजूद उसे लेकर भ्रांतियां फैलाने में यकीन रखता है। इन अफवाहों की वजह से लोगों में टीकाकरण के प्रति हिचकिचाहट पैदा होती है। यही नहीं इससे टीकाकरण की प्रक्रिया बाधित होती है और लोग वैक्सीन लगवाने से इन्कार भी कर देते हैं। हालांकि, फेसबुक ने दिसंबर में ही कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाने वाली फर्जी पोस्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
60 वैश्विक विशेषज्ञ कर रहे भ्रम दूर
फेसबुक प्रवक्ता डैनी लीवर कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया ने कोविड-19 के प्रति भ्रम व भय को दूर करने के लिए 60 वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ साझेदारी की है। लीवर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह स्पष्ट कर चुके हैं कि कोविड टीकाकरण में सबसे बड़ी बाधा हिचकिचाहट है। इसे दूर करने के लिए वैश्विक अभियान की शुरुआत की गई है। अब तक दो अरब लोगों से संपर्क किया जा चुका है। उन्हें सही जानकारी देते हुए उनके भ्रम को दूर किया जा रहा है। फेसबुक के साथ-साथ इंस्टाग्राम से भी अफवाह फैलाने वाली पोस्ट को हटाया जा रहा है। यहां तक कि वैसे विज्ञापनों की भी अनुमति नहीं दी जा रही है, जिनसे वैक्सीन को लेकर कोई भ्रम पैदा हो रहा हो।