पाकिस्‍तान को कोविड-19 महामारी पर लगाम लगाने में मिलेगा भारत का सहयोग, जानें कैसे होगा ये संभव

दुनिया भर में फैली वैश्विक महामारी कोविड-19 से निजाद दिलाने में भारत के सहयोग के बिना कुछ संभव नहीं है। इस बात को हर कोई जानता है। इसकी वजह भी साफ है कि भारत दुनिया में वैक्‍सीन उत्‍पादन में सबसे आगे है। वहीं भारत अब तक स्‍वदेशी वैक्‍सीन को दुनिया के करीब 65 देशों को मुहैया करवा चुका है। इसमें कमर्शियल तौर पर भेजी गई वैक्‍सीन की सप्‍लाई भी शामिल है। भारत ने अपनी वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी में अपने पड़ोसी देशों को सबसे आगे रखा है। हालांकि इस वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी में पाकिस्‍तान शामिल नहीं है। इसकी अपनी कई वजह हैं। लेकिन ये कहना कि पाकिस्‍तान को भारत का कोई सहयोग कोरोना महामारी की रोकथाम में नहीं मिल रहा है या नहीं मिलेगा, गलत होगा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की जिस कोवैक्‍स योजना के तहत पाकिस्‍तान अपने यहां पर इस बीमारी की रोकथाम का सपना संजोए बैठा है, उसमें भी भारत का भी योगदान है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के नेतृत्‍व में गठित ग्‍लोबल एलाइंस फॉर वैक्सीन एंड इम्‍यूनाइजेशन या गावी के तहत कोवैक्‍स वैक्‍सीन की 2 करोड़ 85 लाख खुराक विश्‍व के करीब 37 देशों को मुहैया करवा दी गई हैं। गावी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये आंकड़ा 11 मार्च 2021 तक का है। इस योजना के तहत सबसे पहले अफ्रीकी देश घाना को वैक्‍सीन की सप्‍लाई की गई थी। ये वैक्‍सीन भारत में बनी थी और इसको सीधे भारत से ही घाना के लिए रवाना किया गया था। इस सप्‍लाई के बाद घाना में वैक्‍सीनेशन का काम शुरू हो पाया है। दूसरे देशों में भी इस सप्‍लाई के बाद से वेक्‍सीनेशन का काम शुरू हो सका है। मलावी में भी वैक्‍सीनेशन शुरू हो गया है। कोवैक्‍स योजना के तहत बेनिन में 144000 खुराक भेजी गई हैं।

जहां तक पाकिस्‍तान को भारत के सहयोग की बात है तो इसका जवाब भी इसी योजना में छिपा है। दरअसल, कोवैक्‍स योजना के तहत बनने वाली वैक्‍सीन का उप्‍तादन भारत और दक्षिण कोरिया में किया जा रहा है। यही वैक्‍सीन विभिन्‍न देशों में भेजी जा रही है। पाकिस्‍तान में भी इसी योजना के तहत वैक्‍सीन को भेजा जाना है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि ये योजना पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत काम कर रही है। पाकिस्‍तान को कोवैक्‍स योजना के तहत मई 2021 तक 14,640,000 खुराक मुहैया करवा दी जाएंगी।

पाकिस्‍तान के अखबार द डॉन के मुताबिक डॉक्‍टरों और मेडिकल स्‍टोर मालिकों का कहना है कि बिना भारत के सहयोग के कुछ हो नहीं सकता है। इन लोगों को ये भी उम्‍मीद है कि पाकिस्‍तान सीधेतौर पर भारत से इस संबंध में मदद मांगेगा। लेकिन यदि ऐसा नहीं भी हुआ तो डब्‍ल्‍यूएचओ की योजना के तहत मिलने वाली वैक्‍सीन भी भारत में ही बन रही हैं। इसलिए सीधेतौर पर न सही लेकिन दूसरे रास्‍ते से भारत का सहयोग मिल ही रहा है। डॉन ने अपनी खबर में ये भी लिखा है कि भारत में निर्मित कोवैक्‍स वैक्‍सीन की साढ़े चार करोड़ खुराक उसको डब्‍ल्‍यूएचओ के तहत मुहैया करवाई जाएंगी ।

आपको बता दें कि भारत की वैक्‍सीन उत्‍पादन और विकसित की गई स्‍वदेशी वैक्‍सीन के लिए दुनिया के कई देशों और अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों ने तारीफ की है। ब्राजील ने तो भारत से वैक्‍सीन मिलने के बाद भारत को धन्‍यवाद देने के लिए सड़कों पर बैनर तक लगवाए हैं। अब इस वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी को क्‍वाड के जरिए नई ऊर्जा मिलने वाली है। क्‍वाड ने भारत को इसके लिए वित्‍तीय सहयोग देने पर मुहर लगाई है। साथ ही वैक्‍सीन उत्‍पादन को बढ़ाने के लिए और जरूरी चीजों में भी क्‍वाड सदस्‍य देश सहयोग करने वाले हैं। इस तरह से भारत की वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी चीन को पछाड़कर कहीं आगे निकल जाने वाली है।

 

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