तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए क्रिकेटर मनोज तिवारी ने कहा कि साथी क्रिकेटर अशोक डिंडा के भाजपा से जुड़ने के बावजूद उनसे उनकी दोस्ती बरकरार रहेगी, लेकिन सियासी पिच को वे उनकी गेंदों को हमेशा सीमा रेखा के पार पहुंचाने की कोशिश करेंगे। 12 वनडे और तीन टी-20 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मनोज को हावड़ा की शिबपुर सीट से तृणमूल ने उतारा है।
मनोज ने कहा कि मैं राजनीति में लंबी पारी खेलना चाहता हूं। क्रिकेट करियर के दौरान मैं हमेशा बंगाल को जीत दिलाने के बारे में सोचता था। डिंडा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा में शामिल हो गए हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वह अब मेरे दोस्त नहीं रहेंगे। चुनाव खत्म होने तक हम दोस्त नहीं हो सकते। हम दोनों एक ही हाउसिंग कांप्लेक्स में रहते हैं। हमें जब भी मौका मिलेगा, हम मिलेंगे, लेकिन राजनीति पर चर्चा नहीं करेंगे।
मनोज ने आगे कहा कि मैं खुद को सेलिब्रिटी के रूप में कभी नहीं देखता। मैं कठिन रास्ते से आया हूं और लोगों के संघर्ष से खुद को जोड़कर देख सकता हूं। खेल ने मुझे बेहतर इंसान बनना और कम गलतियां करना सिखाया है। मेरे पास पहले से ही नेतृत्व गुण थे। मैंने कई ट्रॉफियों में बंगाल की टीम का नेतृत्व किया है। क्रिकेट से राजनीति में आने का कारण पूछने पर मनोज ने कहा कि मैं राज्य के लोगों की सेवा करने इस क्षेत्र में आया हूं।
मुझे ममता दीदी का फोन आया था। उन्होंने मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भी उन्होंने मुझसे पूछा था। मैं क्रिकेटर के तौर पर भी समाज सेवा संबंधी बहुत सी गतिविधियों से जुड़ा था। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आम जनता से जो वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हुए। मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता, लेकिन नौकरियों के मुद्दे को देखें। भाजपा ने काला धन वापस लाने और लोगों को 15 लाख रुपये देने का वादा किया था, लेकिन क्या हुआ यह सभी जानते हैं।