भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवां टेस्ट शुक्रवार से खेला जाना है, लेकिन इस मैच से पहले इस तरह की खबरें आ रही हैं कि भारतीय टीम के खिलाड़ी कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के रवैये से खुश नहीं हैं। भारतीय टीम पांच मैचों की सीरीज में 1-3 से पिछड़ चुकी है और साथ ही साथ सीरीज़ भी गंवा चुकी है। भारतीय फैंस को कोहली एंड कंपनी से ये उम्मीद है कि वो पांचवां टेस्ट जीतकर कम से कम जीत के साथ घर लौटे, लेकिन ये खबर उनकी इस उम्मीद को तोड़ रही है, क्योंकि टीम इंडिया के खिलाड़ी शास्त्री और कोहली से खुश नहीं हैं।
मौजूदा टेस्ट सीरीज़ में भारतीय टीम के प्रदर्शन के साथ-साथ विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री की चौतरफा आलोचना हो रही है। फैंस तो इन दोनों की आलोचना कर ही रहे हैं साथ ही टीम के भीतर भी टीम मैनेजमेंट को लेकर बगावत के संकेत दिखने लगे हैं। खासतौर से हर मुकाबले से पहले खिलाड़ियों के बीच असुरक्षा की भावना आना, शास्त्री-कोहली की जोड़ी की नाकाम रणनीति को लेकर खिलाड़ियों में गुस्सा पैदा कर रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों ने इस मसले पर अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं और बताया है कि कैसे टीम मैनेजमेंट के फैसलों में खिलाड़ियों के मनोबल को तोड़ दिया है। एक खिलाड़ी के मुताबिक टीम में लगातार बदलाव करने से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास हिल गया है। वह कहते हैं, ‘कितना अच्छा होता कि हमें बता दिया जाता कि य़े खिलाड़ी पहले तीन टेस्ट में खेलेगें और फिर हर खिलाड़ी बिना किसी चिंता के अपने प्रदर्शन पर फोकस कर पाता। कोहली भले आदमी हैं, टीम का भला ही चाहते हैं लेकिन लगातार प्लेइंग इलेवन में बदलाव करने से खिलाड़ियों का मनोबल टूट जाता है।’
एक दूसरे क्रिकेटर का कहना है, ‘जब किसी खिलाड़ी को बस एक मैच की नाकामी के बाद हटा दिया जाता है तो मन में एक ही सवाल होता है कि वो क्यों ऐसा कर रहे हैं।’
सवाल तो हेड कोच रवि शास्त्री की भूमिका पर भी हैं। खिलाड़ियों को लगता है कि बिना शास्त्री की मंजूरी के कोहली टीम में बदलाव नहीं कर सकते है। एक क्रिकेटर का कहना है कि हो सकता है शास्त्री को लगता हो कि हम उनके मुताबिक खेल नहीं पा रहे हैं लेकिन जब हमारे मन में असुरक्षा की भावना आ जाएगी तो हम मैच कैसे जिता पाएंगे।’
बहरहाल टीम इंडिया ह के सदस्यों के इन बयानों से एक बात तो साफ है कि टीम मैनेजमेंट के फैसलों से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास तो डगमगा ही रहा है साथ ही साथ उनके अंदर असुरक्षा की भावना बगावत का रूप भी ले सकती है।