गणतंत्र दिवस पर हुए बवाल व 15 दिन की बीमारी से जूझने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के अहम सदस्य योगेंद्र यादव दोबारा किसान आंदोलन में डट गए हैं। मीडिया से खास बातचीत में यादव ने कहा कि यदि सरकार अंतिम वार्ता में हुई बातचीत से दो कदम आगे बढ़कर वार्ता करती है तो किसान भी समाधान में पीछे नहीं हटेंगे। यह निश्चित है कि सरकार को दो कदम आगे बढ़कर बात करनी पड़ेगी तभी समाधान की ओर आगे बढ़ सकते हैं। यादव ने कहा कि किसानों ने कभी वार्ता के लिए मना नहीं किया, प्रधानमंत्री ने सरकार व किसानों के बीच फोन कॉल की दूरी को बताया था, लेकिन आज तक कोई कॉल नहीं आया।
कानून निरस्त की मांग के अलावा क्या अन्य कोई समाधान हो सकता है, योगेंद्र यादव ने इस सवाल पर ये बात कही। यानी योगेंद्र यादव की माने तो सरकार यदि आगे बढ़ती है तो किसान भी कानून निरस्त करने के अलावा एमएसपी कानून बनाने सहित अन्य मुद्दों के समाधान पर मान सकते हैं। यादव ने यह भी कहा कि सरकार के पास ही समाधान है, ऐसे में किसान भी वार्ता के लिए तैयार हैं।
दिल्ली के बॉर्डर पर कम होते किसानों की संख्या के सवाल पर योगेंद्र यादव ने कहा कि जहां पहले 50 किसान कृषि कानूनों के बारे में जागरूक थे, अब संख्या 100 हो गई है। मीडिया का ध्यान केवल बॉर्डर तक है, आंदोलन अब दूसरे चरण में है। ऐसे में किसानों के अलावा अन्य लोग भी किसान महापंचायत कर रहे हैं। कुछ प्रदेशों में अब कटाई का समय चल रहा है, ऐसे में 15 दिन बाद मोर्चों पर भी हालात दूसरे देखने को मिलेंगे।
यादव ने कहा कि जिस तरह से भाजपा ने यूपी में कुछ सालों पहले अपना खेल खेला अब वह खत्म हो चुका है। गाजीपुर घटना के बाद तेजी से हालात बदले हैं, अब यूपी में भी चार साल की जड़ता खत्म हो चुकी है। आंदोलन जाट व बीजेपी के बीच के सवाल पर यादव ने कहा कि यही तो बीजेपी का सपना था, लेकिन यह अब खत्म हो चुका है।
यूपी में जहां किसान महापंचायत दिल्ली के आसपास के अलावा बिजनौर तक पहुंच गई हैं, वहीं आंदोलन में पहली बार हरियाणा पंजाब से आगे निकल गया है। महापंचायतों में नेताओं के पहुंचने के सवाल पर यादव ने कहा कि जहां पर भी संयुक्त मोर्चा की महापंचायत हुई है राजनीतिक पार्टियों को शामिल नहीं किया गया है। वैसे देश में कोई भी किसानों के समर्थन में पंचायत करने का अधिकार रखता है।
यादव ने कहा कि भाजपा की कोशिश जाट व गैर जाट को बांटना है। लेकिन अब सरकार की चाल को लोग समझ चुके हैं, आंदोलन किसानों का नहीं मजदूरों का भी है। यदि कानून लागू हुए तो किसान ही नहीं देश का प्रत्येक व्यक्ति इससे प्रभावित होगा, इससे मजदूर भी अछूता नहीं रहेगा। योगेंद्र यादव ने कहा कि कृषि कानून तो मर चुका है। वर्तमान सरकार तो दूर आने वाली तीन सरकारें भी इस कानून को लागू नहीं कर सकेंगी। ऐसे में अब सरकार को किसानों की भावनाओं व समस्याओं को समझते हुए तुरंत वार्ता कर समाधान करना चाहिए।