कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। येदियुरप्पा तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं। वे कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। येदियुरप्पा सरकार को 15 दिनों के अंदर विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना होगा। आज सिर्फ येदियुरप्पा ने ही शपथ ली है। विधानसभा में सरकार विश्वासत मत हासिल करने के बाद मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएगी।
येदियुरप्पा के स्वागत के लिए राजभवन के बाहर भव्य तैयारियां की गई थी। ढोल-नगाड़ों से पूरा माहौल संगीतमय हो गया था। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले येदियुरप्पा ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर वंदे मातरम और मोदी-मोदी के नारे लगाए।
येदियुरप्पा के पास कर्नाटक में बहुमत साबित करने के हैं ये रास्ते
अब येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। हालांकि येदियुरप्पा ने 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद कुछ ऐसी ही विपरीत परिस्थियों में बहुमत साबित कर दिखाया था।
कर्नाटक में 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद जब जनता ने एक बंटा हुआ जनादेश दिया था तब बीजेपी ने ‘ऑपरेशन कमल’ के जरिये विधानसभा में बहुमत साबित किया था। वह फिर से वही फॉर्मूला दोहरा सकती है।
‘ऑपरेशन कमल’ बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की एक कुख्यात रणनीति थी। ‘ऑपरेशन कमल’ के तहत येदियुरप्पा ने विपक्षी पार्टी के विधायकों को पैसे और ताकत के बल पर खरीद लिया था। बीजेपी ने जेडी(एस) और कांग्रेस के 20 विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 और 2013 के बीच उपचुनाव में दोबारा चुनाव लड़ा।
2018 की विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें मिली हैं। बीजेपी को तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कम से कम 5-6 विधायक इस्तीफा दे दें, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 106-108 हो जाए और यह सुनिश्चित कर दे कि बीजेपी उम्मीदवार उपचुनाव जीत जाएं।
दूसरा फॉर्मूला
बीजेपी एक अन्य रणनीति भी अपना सकती है। जिसके तहत वह कांग्रेस और जेडी(एस) के कुछ विधायकों को सदन में गैर-मौजूद रहने को कहें। इस रणनीति की अभी ज्यादा संभावना नजर आ रही है।
हालांकि यह आसान नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस और जेडी(एस) अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर सकती है। इससे एक संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है और यह फिर ये मुद्दा अदालत जाएगा, जिससे बीजेपी को नई रणनीति तैयार करने के लिए कुछ राहत और समय मिल जाएगा।
निर्णायक सीट
राजराजेश्वरी (आरआर) नगर में 28 मई को मतदान की तारीख तय की गई है। जबकि जयनगर में चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। बीजेपी इन दोनों सीटों पर बहुत ज्यादा उम्मीदें होंगी ताकि विधानसभा में उनकी संख्या बढ़ जाए।