उत्तराखंड के चमोली जिले में हुए हादसे में उत्तर प्रदेश के चार और लोगों की मौत हुई है। इनमें से तीन मृतक गोरखपुर और एक कुशीनगर के हैं। इन्हें मिलाकर चमोली हादसे में अब तक यूपी के नौ लोग जान गंवा चुके हैं। हादसे में उत्तर प्रदेश के 59 लोग अब भी लापता हैं, जबकि 23 मिल चुके हैं।
राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि जिन चार और लोगों की मौत हुई है, उनमें गोरखपुर के वेद प्रकाश (24 वर्ष), धनुषधारी (37 वर्ष), शेषनाथ उपाध्याय (50 वर्ष) और कुशीनगर के सूरज कुशवाहा शामिल हैं। इनके शवों के पोस्टमॉर्टम कराया गया है। लापता लोगों में सर्वाधिक 30 लखीमपुर खीरी के हैं। वहीं सहारनपुर के 30, सहारनपुर के 10, श्रावस्ती के पांच, गोरखपुर के चार, रायबरेली व कुशीनगर के दो-दो तथा सोनभद्र, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, मीरजापुर, मथुरा, गौतम बुद्ध नगर, देवरिया, चंदौली, बुलंदशहर, आजमगढ़ व अमरोहा के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।
बता दें कि उत्तराखंड के सीमांत जिले चमोली में बीते रविवार को ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आए उफान के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू आपरेशन जारी है। रविवार को अलग-अलग स्थानों से कुल 13 शव मिले। तपोवन टनल के भीतर पांच, बाहर एक और रैणी क्षेत्र में सात शव बरामद किए गए। रैणी क्षेत्र में ही ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर राकेश कुमार का शव बरामद हुआ। 12 शवों की शिनाख्त हुई है। तपोवन में एनटीपीसी के निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल के भीतर मलबे में रविवार को पांच शव मिले हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र में रविवार को कुल 13 शव मिले। इनमें एक शव तपोवन में टनल के बाहरी क्षेत्र और सात शव रैणी में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बैराज क्षेत्र में मिले। रेस्क्यू टीम अभी तक 51 शव बरामद कर चुकी है।
अपने घरों को लौटने लगे हैं स्वजन : ऋषिगंगा में आए सैलाब में लापता हुए लोगों के स्वजन अब हताश एवं मायूस होकर अपने घरों को लौटने लगे हैं। आपदा के बाद से ही तपोवन व रैणी गांव में लापता व्यक्तियों के स्वजन की भारी भीड़ जमा थी। मगर अब यहां पूरी तरह सन्नाटा है। प्रशासन की ओर से बनाए गए पूछताछ केंद्र में भी कोई झांकने वाला नजर नहीं आ रहा। सात फरवरी को ऋषिगंगा में आए सैलाब में 206 से अधिक लोग लापता हो गए थे। इनमें से अब तक 51 के शव मिल चुके हैं, जबकि ऋषिगंगा व तपोवन-विष्णुगाड पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले 150 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी लापता चल रहे हैं। ये सभी उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा आदि प्रदेशों के रहने वाले थे। इनके स्वजन त्रासदी के बाद ही तपोवन व रैणी गांव पहुंच गए थे।