कोविड-19 महामारी से एक वर्ष से अधिक समय से जूझ रही दुनिया के लिए भारत एक फरिश्ते की तरह सामने आया है। भारत ने इस महामारी पर न सिर्फ अपने यहां पर काबू पाने में सफलता हासिल की है बल्कि दुनिया को इससे उबारने में वो एक कारगर भूमिका निभा रहा है। ये भूमिका भारत दो तरह से अदा कर रहा है। इसका पहला जरिया बना है भारत की बनाई वैक्सीन को दूसरे देशों को भेजना तो दूसरा जरिया बना है विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्स योजना में सार्थक रूप से सहयोग देना। भारत अब तक मदद और कमर्शियल रूप से वैक्सीन की करीब 2.30 करोड़ खुराक दुनिया के 20 देशों को मुहैया करवा चुका है। आने वाले समय में भारत अफ्रीका और लेटिन अमेरिकी देशों को और वैक्सीन की खुराक उपलब्ध करवाएगा। इसको दुनिया भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी के नाम से जान रही है।
पाकिस्तान नहीं भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी का हिस्सा
बहरहाल, भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी की बात करें तो इसमें पाकिस्तान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश शामिल हैं। पाकिस्तान को उसकी कारगुजारियों के चलते इसमें शामिल नहीं किया गया है। साथ ही पाकिस्तान की तरफ से भी भारतीय वैक्सीन को हासिल करने की कोई आधिकारिक पहल नहीं की गई है। इसके अलावा भारत ने अपनी वैक्सीन को अब तक नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्राजील भेजी है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो वैक्सीन मिलने के बाद एक यादगार ट्वीट भी किया था जिसमें भगवान हनुमान को जड़ीबूटी लाते हुए दिखाया गया था। इसमें भारत को वैक्सीन भेजने के लिए धन्यवाद कहा गया था। आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्स को 145 देशों को भेजने की घोषणा की है। इनमें अधिकतर वो देश हैं जो आर्थिक रूप से गरीब हैं और जो वैक्सीन का खर्च अकले नहीं उठा सकते हैं। इनमें पाकिस्तान भी शामिल है। पाकिस्तान भी कोवैक्स के मिलने का इंतजार कर रहा है।
भारत करता रहेगा आगे भी मदद
गौरतलब है कि भारत ने 21 जनवरी को वैक्सीन मैत्री के तहत कोरोना महामारी की वैक्सीन अन्य देशों में पहुंचाने की पहल की थी। इनमें वो देश शामिल थे जो छोटे और गरीब थे, जैसे डोमनिक रिपब्लिक। भारत ने ऐसे देशों को ये मदद मुफ्त मुहैया करवाई थी। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से ये बात बेहद साफ कही गई है कि भारत आने वाले समय में भी पूरी दुनिया की मदद इस संबंध में करता रहेगा। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक अन्य देशों को वैक्सीन की कुल खुराक में से करीब 60 लाख से अधिक (6.47 मिलियन) खुराक मदद के तौर पर जबकि 1 करोड़ 60 से कुछ अधिक (16.5 मिलियन) खुराक कमर्शियल तौर पर मुहैया करवाई गई है।
पड़ोसी देशों को प्राथमिकता
भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी में पड़ोसियों को सबसे अधिक प्राथमिकता (Neighbourhood First Policy) दी और उन्हें ये वैक्सीन मुहैया करवाई। सीरम इंस्टिट्यूट की बनाईकोविडशील्ड वैक्सीन अब तक लाखों लोगों उम्मीद बनकर विदेशों में पहुंच चुकी है। वहीं चीन की कंपनी सिनोफॉर्म की बात करें तो इसको ड्रैगन ने अब तक केवल पाकिस्तान और नेपाल को ही मुहैया करवाया है। पाकिस्तान को तो इस वैक्सीन को लाने के लिए अपना विमान वहां पर भेजना पड़ा था, क्योंकि चीन ने अपने विमान से वैक्सीन भेजने से साफ इनकार कर दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया है कि भारत आने वाले दिनों में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन की और अधिक खुराक अफ्रीका, लेटिन अमेरिका, केरिकॉक (CARICOM), पेसेफिक आइसलैंड को मुहैया करवाएगा।
इन देशों को भेजी गई वैक्सीन की खुराक
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक अब तक बांग्लादेश को को 20 लाख, म्यांमार को 10.7 लाख, नेपाल को 10 लाख, भूटान को डेढ लाख, मॉरिशस को एक लाख, सिशेल्स को 50 हजार, श्रीलंका को 5 लाख, बहरीन को 1 लाख, ओमान को 1 लाख, अफगानिस्तान को 5 लाख, बारबाडोज को 1 लाख और डोमनिक रिपब्लिक को 70 हजार वैक्सीन की खुराक मुहैया करवाई जा चुकी है। कमर्शियल तौर पर ब्राजील को करीब 20 लाख, मोरक्को को 60 लाख, बांग्लादेश को 50 लाख, म्यांमार को 20 लाख, मिस्र को 50 हजार, अल्जीरिया को 50 हजार, दक्षिण अफ्रीका को दस लाख, कुवैत को 2 लाख और यूएई को भी इतनी की खुराक मुहैया करवाई गई हैं।
भारत से मांगी थी मदद
आपको बता दें कि भारत ने जिन देशों को कोरोना वैक्सीन की खुराक मुहैया करवाई हैं वो या तो भारत की प्राथमिकता का हिस्सा थे या फिर उन्होंने भारत से इसके लिए अपील की थी। हाल ही में कनाडा ने भी भारत से कोरोना वैक्सीन की खुराक मांगी है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस बारे में अब तक कुछ साफ नहीं किया है कि ये वैक्सीन अब तक वहां भेजी गई हैं या नहीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि देश में वैक्सीन की उपलब्धता और नेशनल वैक्सीन प्रोग्राम के मद्देनजर की इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।