प्रत्येक देवी और देवताओं को पूजने के कुछ खास समय, वार, तिथि, त्योहार आदि होते हैं। इस समय उनका सम्मान रखना जरूरी है। कई लोग इस समय बुरे कार्यों में रत रहते हैं जैसे मदिरापान करना आदि। माता कालिका का भी समय होता है। आओ जानते हैं कि किन पांच समय में उनकी पूजा, साधना या आराधना करने से वह तुरंत ही प्रसन्न होती हैं।
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1. वार : शुक्रवार को माता कालिका की विशेष पूजा आराधना की जाती है। मध्य रात्रि का समय भी कालिका का समय होता है।
2. तिथि : अमावस्या की तिथि माता कालिका की विशेष तिथि हैं क्योंकि माना जाता है कि इसी तिथि में उनकी उत्पत्ति हुई थी।
3. त्योहार : दीपावली की अमावस्या को माता कालिका की विशेष पूजा और साधना होती है। इसी दिन माता काली भी प्रकट हुई थी इसलिए बंगाल में दीपावली के दिन कालिका की पूजा का प्रचलन है। यह भी मान्यता है कि इसी दिन देवी काली 64,000 योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं। इस दिन को महानिशा पूजा कहा जाता है।
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4. कार्तिक माह की काली चौदस : नरक चतुर्दशी या काली चौदस को बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।
5. गुप्त नवरात्रि : माता कालिका की विशेष साधना गुप्त नवरात्रि में होती है। हिन्दू मास अनुसार अषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि आती है। माता कालिका दस महाविद्याओं में से एक प्रथम देवी है।
6. नवरात्रि : चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि के सातवें दिन भी माता कालिका की पूजा की जाती है।