दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए केजरीवाल सरकार लगातार कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक की। सीएम ने ट्वीट कर बताया कि आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और तेरी (Teri) ने प्रदूषण के वास्तविक समय के स्रोत के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की है। हम दिल्ली में इसे लागू करने के लिए उनके साथ काम करेंगे।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि यदि हम वास्तविक समय के आधार पर प्रदूषण के स्रोत को जानते हैं, तो यह प्रौद्योगिकी हमें तत्काल कार्रवाई करने में मदद करेगा।
बता दें कि दिल्ली में प्रदूूषण पर लगाम लगाने के लिए केजरीवाल इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी भी ले आयी है। इसके तहत दो पहिया और चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीद पर सब्सिडी मिली। प्रोत्साहन के लिए सरकार लगातार जागरुकता अभियान भी चला रही है।
पंजाब में पराली जलाने की बढ़ी घटनाओं पर केंद्र ने जताई चिंता
पंजाब में पराली जलाने की बढ़ी घटनाओं पर केंद्र ने सोमवार को राज्यसभा में चिंता जताई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि दिल्ली- एनसीआर में अक्टूबर-नवंबर के महीनों में बढ़े प्रदूषण के पीछे पराली सबसे अहम कारण होता है। इस दौरान हवा में इसकी हिस्सेदारी दो से 40 फीसद तक रहती है। हालांकि इस पर रोकथाम के काफी उपाय किए गए हैं, लेकिन पंजाब में इसके बाद भी 2020 में पिछले साल के मुकाबले 25 फीसद ज्यादा पराली जली है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने यह जवाब भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य ¨सधिया की ओर से इस संबंध में किए गए पूरक प्रश्न पर दिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली और एनसीआर में पराली का यह धुआं पंजाब और हरियाणा में फसलों के अवशेषों को जलाने के चलते पैदा होता है। दिल्ली की ओर हवाओं का रुख होने से यहां कम दबाव का क्षेत्र होने के चलते पराली का धुंआ यहां आकर रुक जाता है। इसके चलते दिल्ली और एनसीआर में स्थिति गंभीर हो जाती है और लोगों का सांस लेना भी दूभर हो जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा को पराली को जलाने से रोकने के लिए करोड़ों रुपये की कीमत की करीब 40 हजार मशीनें उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके जलाने की घटनाएं बंद नहीं हो रही हैं।