आर्थिक तंगी के रूप में पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बड़ी चुनौती मिली है और इससे पार पाना उनके लिए सबसे कठिन होगा. दूसरी तरफ पाकिस्तान के बड़े मददगारों में शुमार अमेरिका लगातार आर्थिक सहायता में कटौती कर रहा है. हाल ही में अमेरिका द्वारा 2100 करोड़ की सहायता राशि रोके जाने से इमरान सरकार और बड़ा झटका लगा है. इस बीच खबर आई है कि पाकिस्तान को कर्ज से मुक्ति दिलाने और अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए इमरान खान विदेशी विशेषज्ञों का सहारा ले रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नवगठित आर्थिक सलाहकार समिति (EAC) में कई विदेशी अर्थशास्त्रियों को शामिल किया है. इसका मकसद देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करना है, ताकि देश के लिए आर्थिक नीतियां बनाते समय पेशेवर आर्थिक सलाह मिल सके.
डॉन अखबार में रविवार को छपी खबर के मुताबिक इमरान खान की सरकार के सामने 10 अरब डॉलर के अंतर को पाटने की तत्काल चुनौती है. इसकी प्रमुख वजह देश से बड़ी राशि का बाहर जाना और निवेश कम होना है.
पाकिस्तान का मौजूदा समय में चालू खाते का घाटा 18 अरब डॉलर है, वहीं इसका विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 10 अरब डॉलर से कुछ अधिक है. यह दो माह के आयात को पूरा करने में ही सक्षम है.
पुरानी परंपराओं से अलग इस आर्थिक सलाहकार परिषद में खान ने 18 सदस्यों की नियुक्ति की है. इसकी अध्यक्षता वह खुद करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सबसे अच्छी पेशेवर आर्थिक सलाह का उपयोग किया जाए. इस परिषद की पहली बैठक जल्द हो सकती है.
बता दें कि रविवार को ही खबर आई है कि आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान के खराब रिकॉर्ड से नाराज डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 2100 करोड़ रुपये की मदद रद्द कर दी है. अमेरिकी सेना के मुताबिक ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पाकिस्तान आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है.