वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने अगली सुनवाई की तिथि 11 फरवरी मुकर्रर की है। वाद मित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। परिसर का धार्मिक स्वरुप तय करने के लिए पूरे ज्ञानवापी परिसर तथा विवादित स्थल का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगायी जाए। इस मामले में विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड (लखनऊ) ने विरोध दर्ज कराते हुए आपत्ति दाखिल की है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी पक्षकार बनाने की अपील न्यायालय से की है।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी और सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने विरोध कर न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराई। जिसपर न्यायालय ने सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख़ तय की है। उधर,स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में पांच फरवरी को सुनवाई होनी है। रामनगरी अयोध्या में जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पूरे देश के लोग अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे है। वादमित्र की दलील है कि विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। इसके नीचे विश्वेश्वरनाथ की ज्योर्तिलिंग मौजूद है। मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बना दिया है। 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। वाद मित्र ने मस्जिद की बाहरी व अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि का पुरातात्विक सर्वेक्षण रेडार तकनीक और खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने का अनुरोध किया है।