संयुक्त राष्ट्र। चीन ने म्यांमार की तानाशाह सेना को खुला समर्थन देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव को रोक दिया। अमेरिका-ब्रिटेन समेत सुरक्षा परिषद के कई अस्थायी सदस्यों ने म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट की निंदा करते प्रस्ताव पेश किया था। म्यांमार की सेना ने सोमवार को देश की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की समेत सैकड़ों सांसदों को गिरफ्तार करते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इतना ही नहीं, सेना ने देश में एक साल के लिए आपातकाल का ऐलान भी किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुल पांच स्थायी सदस्य हैं। केवल इन्हें ही किसी भी प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो शक्ति मिली हुई है। इसके अलावा अस्थायी 15 सदस्यों को किसी प्रस्ताव को रोकने का अधिकार नहीं है। चीन ने रूस के साथ मिलकर इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए निंदा प्रस्ताव से असहमति जताते हुए वीटो लगा दिया। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर ने भी सैन्य तख्तापलट की निंदा की है।
उधर जी-7 में शामिल देशों ने भी साझा बयान जारी करते हुए म्यांमार की सेना की निंदा की है। हम आपातकाल की स्थिति को तुरंत समाप्त करने, लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को सत्ता बहाल करने, मानव अधिकारों और कानून के शासन का सम्मान करने के लिए सेना से अपील करते हैं। जी-7 देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस शामिल हैं। चीन तख्तापलट के बाद से चेतावनी दे रहा है कि प्रतिबंध या अंतरराष्ट्रीय दबाव से ही म्यांमार में हालात और खराब होंगे। इससे पहले भी रोहिंग्याओं के नरसंहार के मामले में चीन ने लंबे समय तक म्यांमार को अंतराष्ट्रीय जांच से बचाया है। चीन अपने पड़ोसी म्यांमार को आर्थिक और सामरिक नजरिए से देखता है। वह न केवल म्यांमार में ब्लेट एंड रोड इनिशिएटिव से अपनी पहुंच बंगाल की खाड़ी तक बनाना चाहता है, बल्कि भारत की भी घेराबंदी करने की प्लानिंग कर रहा है।