बजट में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिये आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान एक करोड़ और गैस कनेक्शन देने का एलान कर केंद्र सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। यह योजना मौजूदा सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक रही है। योजना के सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए सरकार ने बजट में इसको विस्तार देने की घोषणा की है। जाहिर है, सरकार नागरिकों को स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन मुहैया कराने की कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है।
दरअसल सरकार बीपीएल परिवारों को एलपीजी की सस्ती सेवाएं देकर जलावन के परंपरागत स्नेतों पर उनकी निर्भरता को कम-से-कम करना चाहती है। उज्ज्वला योजना का लक्ष्य गरीबों की रसोई को धुआं से मुक्त कर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। अब महिलाओं को जलावन की खोज में दूरदराज जाने की जरूरत नहीं है। चूल्हा से निकलने वाले जहरीले धुओं से भी अब उन्हें मुक्ति मिल रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक परंपरागत चूल्हे से निकलने वाले धुएं से उतनी ही हानि होती है, जितनी एक घंटा में 400 सिगरेट जलने से होती है। वहीं इसी संस्था की दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपले एवं लकड़ी आदि से खाना बनाने की वजह से सालाना पांच लाख महिलाओं की मौत हो जाती है, जबकि लाखों महिलाओं को आजीवन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझना पड़ता है। जाहिर तौर पर चूल्हे का जहरीला धुआं महिलाओं को धीरे-धीरे मार रहा होता है, लेकिन गरीबी और लाचारी की वजह से महिलाएं इस पर पर्याप्त गौर नहीं कर पाती हैं।
लकड़ी-उपले से भोजन बनाने से महिलाओं के धुएं की चपेट में आ जाने से उनमें सांस संबंधी तथा सिर दर्द की परेशानियां आम हो जाती हैं। उज्ज्वला योजना ऐसे बीपीएल परिवारों की महिलाओं को नया जीवन दे रही है। इस योजना से महिलाओं के चेहरे खिले हैं। यह महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दे रही है। हालांकि एक बेहतरीन परियोजना होने के बावजूद उज्ज्वला योजना के दुर्बल पक्ष नजरअंदाज नहीं किए जा सकते।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पांच करोड़ से भी अधिक परिवारों को गैस कनेक्शन मुहैया कराया जा चुका है। हालांकि इसकी भी पड़ताल की जानी चाहिए कि जिन पांच करोड़ घरों में गैस कनेक्शन दिया गया है, वहां की मौजूदा स्थिति क्या है? क्या उन सभी घरों में गैस से ही खाना बन रहा है या गैस का खर्चा बचाने के लिए चूल्हा भी जलाया जा रहा है? बीपीएल परिवारों को मिलने वाले गैस सिलेंडर वे किसी दूसरे को बेच तो नहीं रहे हैं या गैस जलाने को असुरक्षित मानकर वे इसके प्रयोग से डर तो नहीं रहे हैं?
बहरहाल उज्ज्वला योजना न सिर्फ सामाजिक-आíथक उत्थान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना है, अपितु पर्यावरणीय दृष्टि से भी यह काफी हितकारी है। मालूम हो कि विश्व की एक तिहाई से अधिक आबादी केवल जलावन के लिए जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग करती है। उज्ज्वला योजना के विस्तार से जलावन के लिए वृक्षों की कटाई कम होगी। पर्यावरण सुरक्षित होगा और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की ताकत मिलेगी।
हालांकि उज्ज्वला योजना की ही तर्ज पर सौर कुकर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की दिशा में एक सरकारी योजना के शुरुआत की जा सकती है। सौर कुकर किफायती भी है और पर्यावरण तथा स्वास्थ्य के लिए अनुकूल भी। ऊर्जा के नवीकरणीय स्नेतों के अधिक से अधिक इस्तेमाल से ही पर्यावरण संरक्षण का ध्येय पूरा हो पाएगा।