मंत्रालय ने कहा- ऐसे मामलों में कुछ बोलने से पहले तथ्यों का पता लगा लेना चाहिए
नई दिल्ली। कृषि बिल को लेकर आंदोलनरत किसानों की आड़ में सोशल मीडिया के माध्यम से विदेश से प्रोपेगेंडा फैला रही बड़ी हस्तियों एवं तथाकथित बुद्धजीवियों को भारतीय विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है। मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा है कि ”ऐसे मामलों में कुछ बोलने से पहले तथ्यों का पता लगा लेना चाहिए। खासकर बड़ी हस्तियां एवं अन्य लोग जब सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग के बहकावे में आकर टिप्पणी करते हैं तो, न वो सही होती है और न ही जिम्मेदारी पूर्ण। अपने बयान में मंत्रालय ने कहा है कि भारत की संसद ने चर्चा और बहस के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित इन सुधारवादी कानूनों को पारित किया है, जो किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के साथ ही उनके लिए टिकाऊ कृषि के मार्ग खोलेंगे। इसके साथ ही इन सुधारों से किसान अपनी फसल को आसानी से मुक्त बाजार में बेच पाएंगे। इसके साथ ही मंत्रालय ने सरकार और किसानों की बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों का एक बहुत ही छोटा वर्ग इन सुधारों को लेकर संदेह में है। इसके लिए भारत सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की एक श्रृंखला शुरू की है। अब तक 11 राउंड की वार्ता हो चुकी है, जिसका हिस्सा केंद्रीय मंत्री रहे हैं। यही नहीं सरकार ने किसानों के सामने कुछ समय के लिए कानून को टालने का प्रस्ताव भी दिया है और यह बात देश के प्रधानमंत्री ने खुद कही है।
मंत्रालय ने अपना एजेंडा चला रहे लोगों बारे में कहा कि कुछ समूहों ने प्रदर्शन की आड़ में अपना एजेंडा फैलाने की कोशिश की, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसको 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन दुनिया ने देखा कि किस तरह से राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा और बर्बरता हुई।” इसके अलावा ”एजेंडा फैलाने वाले समूहों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ लोगों को उकसाने की कोशिश की। जिनके उकसावे में आकर दुनिया के कुछ हिस्सों में महात्मा गांधी की मूर्तियों को तोड़ दिया गया। यह भारत और हर जगह के सभ्य समाज के लिए परेशान करने वाली बात है। अपने बयान में मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस के दिन के हुई हिंसा बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय पुलिस बलों ने इन विरोधों को अत्यंत संयम के साथ नियंत्रित किया है। जिसमें पुलिस में सेवारत सैकड़ों पुरुष पुलिसकर्मियों और महिला पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया। कुछ मामलों में छुरा तक घोंपा गया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। मंत्रालय ने आगे कहा कि हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि इस प्रदर्शन को भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति एवं राजनीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जिसमें गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान समूहों की बीच लगातार बातचीत चल रही है।