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टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू होते ही लोकसभा से लेकर विधानसभा क्षेत्र तक में विशेष अभियान संचालित किए जा सकते हैं जिनकी जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के मुख्य प्रतिनिधि पर होगी। जानकारी यह भी है कि सांसद और विधायक अपने अपने कार्यक्षेत्र में जनता के बीच पहुंचकर टीकाकरण में शामिल हो सकते हैं।
टीकाकरण की योजना से जुड़े स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि अलग-अलग चरणों की नीति को अंतिम रुप दिया जा चुका है। पहले चरण में किसी भी प्रतिनिधि को टीका नहीं दिया जा सकता है। इसे लेकर पहले ही काफी विचार विमर्श किया जा चुका है जिसके बाद ही यह फैसला लिया गया है। ऐसे में अगर पहले चरण के दौरान पीएम या सीएम के टीका नहीं लेने पर कोई सवाल करता है तो वह निराधार है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश में कई जनप्रतिनिधि की आयु 80 वर्ष या उससे भी अधिक है। इन्हें दूसरे चरण में प्राथमिकता के तौर पर सबसे पहले टीका दिया जा सकता है। इनमें दो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरपा भी शामिल हैं।
टीकाकरण को लेकर गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स के विशेषज्ञ भी इस बात से सहमत हैं कि 27 करोड़ लोगों को जल्द से जल्द टीका देने के लिए राजनेताओं का सहयोग जरूरी है। दिल्ली एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी और फोर्स में सदस्य ने बताया कि टीकाकरण को लेकर अभी भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। इन भ्रांतियों को दूर करने में नेताओं की अहम भूमिका हो सकती है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि अप्रैल माह में पीएम सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में इस पर जानकारी दे सकते हैं ।
आयु के अनुसार ये हो सकते हैं शामिल
- 75 फीसदी सांसद
- 95 फीसदी भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री
- 82 फीसदी राज्यमंत्री
- 76 फीसदी मुख्यमंत्री
- दो पूर्व पीएम और एक मुख्यमंत्री का नाम सबसे ऊपर