आरक्षण प्रक्रिया का फॉर्मूला तय, जल्द लिस्ट आएगी सामने, फॉर्मूले के अनुसार एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी
वाराणसी। पंचायत चुनाव तिथि का ऐलान भले ही नहीं हुआ है, लेकिन गांवों में इसके दावेदारों में सरगरमी शवाब पर है। खासकर, इस बार उनका गांव आरक्षित होगा या नहीं, इसे लेकर संशय बरकरार है। लेकिन पंचायत चुनाव से जुड़े भरोसेमंद अफसरों की मानें तो ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का नए सिरे से आरक्षण होगा। इसके लिए बाकायदा पंचायती राज निदेशालय ने शासन को फॉर्मूला भेजा दिया है। फॉर्मूले को मंजूरी मिलते ही आरक्षण की नए सिरे से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कहा जा रहा है कि 2015 में जो पंचायत एससी-एसटी के लिए आरक्षित थी उन्हें इस बार एससी-एसटी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। इसी तरह अगर 2015 में पंचायत का प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित था तो इस बार उसे दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा।
यह होगा फॉर्मूला
प्रत्येक ब्लॉक में एससी-एसटी पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी। फॉर्मूले के अनुसार एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी। जानकारों की मानें तो नए नगरीय निकायों के गठन या सीमा विस्तार का आरक्षण पर असर दिख सकता है।
15 मार्च से 7 अप्रैल के बीच हो सकते हैं पंचायत चुनाव
त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव 15 मार्च से 7 अप्रैल के बीच हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार जल्द ही इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सरकार ने यह संकेत दिए हैं कि पंचायत चुनाव बोर्ड परीक्षा से पहले हो सकते हैं। दावा है कि 21-21 दिन की अधिसूचना पर जिला पंचायतों के अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों का चुनाव संपन्न कराया जाएगा। मतदाता बनने का समय पूरा हो गया है। 22 जनवरी को फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित होगी। अभी आए सभी आवेदन का रिव्यु करके नाम जोड़े व घटाएं जाएंगे। सभी का वेरीफिकेशन किया जाएगा। आरक्षण को लेकर कमेटी लगातार सर्वे व रिव्यु करा रही है। फरवरी में उसका भी ऐलान किया जाएगा। अगर स्थितियां ठीक रहीं तो मार्च में चुनाव कराया जाना प्रस्तावित है। उसकी तैयारियां युद्धस्तर पर हो रही हैं। 10 जनवरी को इस बाबत एक अहम बैठक होने वाली है।
गांवों में सरपट दौड़ रही है बधाई संदेश
पंचायत चुनाव जब सिर पर हो तो इसके दावेदार भला चुप कैसे रह सकते है, वह भी मौका हो जब नववर्ष की बधाई का। हाल यह है कि इन दिनों गांवों में बधाई संदेश सरपट दौड़ रही है। हाल यह है कि पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने की मंशा रखने वाले खूब एक-दुसरे को बधाई संदेश अपने-अपने तरीके से दे रहे है। इसमें भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस समेत अन्य दलों व निर्दल के लोग भी शामिल है। मतदाताओं के घर पर अलाव की आंच के चहुंओर अड़ी से लेकर चाय-चुक्कड़ तक सिर्फ पंचायत चुनाव की ही चर्चा है। फेसबुक, वाट्सप से लेकर मिलने मिलाने तक एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर बधाई संदेश दिया जा रहा है। गांव के चौपाल तो बधाई संदेशों के बैनर-पोस्टर से अटे पड़े है।
रेल टिकट निकाल रहे भावी प्रत्याशी
पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशी दूर दराज में रहने वाले अपने सगे संबंधियों की रेल टिकट अभी से निकाल रहे है। हाल यह है कि मार्च की टिकट टोटा पड़ गया है। सामूहिक रेल टिकट निकाले जाने से पूरी की पूरी ट्रेन फूल हो चुकी है। सूत्रों की माने तो संभावित उम्मीदवारों ने मार्च में 10- 20 मार्च के बीच गांव बुलाने के लिए सैकड़ों रेल टिकट निकाल रहे हैं। मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और गुजरात के विभिन्न शहरों से 50-60 की संख्या में लोग रेलवे का रिजर्वेशन टिकट निकाल चुके हैं। जिला पंचायत और ग्रामप्रधान का चुनाव लडऩे वाले लोगों का कहना है कि अपने गांव क्षेत्र के वोटरों का समर्थन पाने और उन्हें त्योहार पर घर मुफ्त आने का सुनहरा मौका दिया जा रहा है। उनका कहना है कि चुनावी तिथि नहीं पड़ी तो टिकट वापसी में होने वाला नुकसान भी घाटे का सौदा नहीं है। सभी ग्रामसभाओं से तीन-चार उत्साही उम्मीदवार अपने गांव से दूर बसे शहरियों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें गांव आकर विकास में भागीदार बनने का आफर दे रहे हैं। पिछले तीन चार दिनों से प्रतिदिन पांच-छह लोग रेलवे बुकिंग खिड़की पर लाइन में लगकर एक आईडी पर छह-छह टिकट ले रहे हैं।