अच्छे पल, दिन, महीने और साल जल्दी बीत जाते हैं। प्रतिकूल या खराब दौर को काटना पड़ता है। ये बात और है कि इस दौरान भी धरती सूरज के चारों ओर अच्छे दिनों जैसी ही रफ्तार से घूमती है। इसी परिक्रमा के फलस्वरूप आखिर साल 2020 भी बीत गया। इसी के साथ कोविड-19 महामारी का एक साल भी गुजरा। 31 दिसंबर, 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन ने बताया कि उसके यहां लोग न्यूमोनिया जैसी किसी अज्ञात बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। तीन जनवरी को आउटब्रेक की जानकारी दी। सात जनवरी को चीन के संचारी रोग विभाग (सीडीसी) ने इस रहस्यमय संक्रमण को नोवेल कोरोना वायरस (2019एन-सीओवी) नाम दिया। साल भर इस महामारी ने मानवता को छकाए रखा। मगर मजाल जो इंसानियत के जोश, जज्बे और समर्पण को ये डिगा सकी हो। इस बार महामारी पर विजय के लिए हमने रिकॉर्ड समय में टीका विकसित कर लिया। टीके के साथ हम नए साल में प्रवेश कर गए। चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं। एक साल बाद इस वायरस का एक नया रूप सामने आया है जो लोगों को डरा रहा है, लेकिन तमाम अध्ययन बताते हैं कि ये रूप ज्यादा संक्रामक है, घातक नहीं।
टीके को दुनिया के हर आदमी तक पहुंचाने और उसे लगाने की अलग चुनौती है। टीका लग भी गया तो यह तीन से छह महीने तक ही आदमी में प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने में सक्षम होगा यानी इस अंतराल के बाद वह फिर सामान्य इंसान की श्रेणी में आ जाएगा। तो क्या अब हमें इस वायरस के साथ ही शेष जीवन गुजारना होगा। मास्क, साफ-सफाई और शारीरिक दूरी जैसे मौजूदा एहतियात अब जीवनशैली, कार्यशैली के हिस्से बन जाएंगे। हां या न, दोनों ही परिस्थितियों में आदमियत अमर रहेगी। इंसान अपने अस्तित्व के खातिर हर बला का मुकाबला करने में सक्षम रहा है। इस बार भी रहेगा। ऐसे में नये साल में इस महामारी को लेकर नई उम्मीदों की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।
निर्णायक होगा बूस्टर डोज का अंतराल
मौजूदा परिस्थिति के अनुसार कोरोना से जंग में देश विजय पथ पर आगे बढ़ रहा है। हालांकि ब्रिटेन में वायरस के स्वरूप में आए बदलाव से चुनौतियां थोड़ी बढ़ी हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि देश में भी टीका जल्द लगना शुरू हो जाएगा। टीका कितने समय तक असरदार रहेगा और वायरस के स्वरूप में आए बदलाव को लेकर कुछ चिंताएं जरूर है लेकिन उम्मीद है कि यह नव वर्ष उन समस्याओं के निदान का साल साबित होगा। ब्रिटेन में यह पाया गया है कि टीके की बूस्टर डोज (दूसरी डोज) यदि तीन माह के अंतराल पर दी जाती है तो भी संक्रमण से बचाव में असरदार है। यह रणनीति यहां भी अपनाने पर विचार की जा रही है। लिहाजा, इस बात की पूरी उम्मीद है कि टीका हर्ड इम्युनिटी विकसित करने और महामारी से छुटकारा दिलाने में अहम साबित होगा।
दरअसल, ब्रिटेन में यह पाया गया कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन में भी बदलाव आया है। इस स्पाइक प्रोटीन के जरिये ही कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है लेकिन स्पाइक प्रोटीन में अंतर इतना नहीं आया है कि टीका उसके खिलाफ काम नहीं करेगा। वैसे भी स्पाइक प्रोटीन में पूरी तरह बदलाव नहीं हुआ है। यदि स्पाइक प्रोटीन किसी भी स्वरूप में वायरस में मौजूद है तो टीका उसके खिलाफ काम करेगा। इसलिए मौजूदा वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार एक बात तो स्पष्ट है कि टीका वायरस के बदले हुए स्वरूप पर भी अटैक करेगा। इसलिए टीके की कामयाबी पर शक नहीं होनी चाहिए।
अब बात यह आती है कि टीका असरदार कितने समय तक के लिए रहेगा? अब तक यह बात कही जा रही है कि टीका तीन से छह माह तक कारगर रहेगा। हालांकि, अभी तक यह बात पूरी तरह स्पष्ट नहीं है लेकिन उसके समाधान के लिए विशेषज्ञ लगे हुए हैं। ट्रायल के बाद अभी तक टीके की पहली डोज देने के 28 दिन (चार सप्ताह) बाद बूस्टर डोज दिए जाने की बात कही जा रही है। इस बीच यह भी चर्चा हो रही है कि दूसरी डोज चार सप्ताह के बजाए तीन माह पर लगाई जा सकती है। ब्रिटेन ने कहा कि वह तीन महीने के अंतराल पर दूसरी डोज लगाएंगे। इसलिए यहां भी बातचीत चल रही है कि दूसरी डोज चार सप्ताह के अंतराल पर ही देना है या थोड़े अधिक दिन के अंतराल पर दी जा सकती है। वैसे भी दूसरी डोज के लिए लोगों को बुलाने के लिए भी सरकार को थोड़ा प्रयास करना पड़ेगा। दूसरी डोज कितने दिन के अंतराल पर लगेगा अभी इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है। प्रस्ताव भारत के ड्रग कंट्रोलर के पास भेजा गया है। वहां से अंतिम स्वीकृति के बाद ही पता चलेगा कि टीके की दूसरी डोज चार सप्ताह, दो माह या तीन महीने के अंतराल पर लगाना है। ब्रिटेन में ट्रायल के दौरान कुछ लोगों को तीन माह के अंतराल पर दूसरी डोज दी गई थी। हालांकि, यह गलती से ही हुआ था लेकिन उसके नतीजे अच्छे देखे गए। वहां के विशेषज्ञों का कहना है कि तीन माह के अंतराल पर भी टीका लगने पर अच्छा काम कर रहा है। इससे टीका थोड़े अधिक समय के लिए असरदार रह सकता है।
देश में कोरोना के मामले अब कम हो गए हैं। सर्दी का मौसम में भी वायरस का संक्रमण उतना नहीं फैला, जितनी आशंका थी। इसलिए यह देखना पड़ेगा कि इस साल गर्मी में वायरस टिक पाता है या नहीं। इस बीच टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा। लिहाजा, मई-जून तक स्थिति काफी स्पष्ट हो जाएगी। टीका बीमारी से बचाव करता है, वायरस को शरीर में प्रवेश करने से नहीं रोकता। इसलिए वायरस जब शरीर में प्रवेश करेगा तो हो सकता है कि कुछ समय के लिए नाक या गले में रहे। जिससे दूसरे को संक्रमण होने का खतरा रहेगा। इसलिए मास्क लगाने व भीड़ से बचने की प्रक्रिया चालू रखना पड़ेगा।