अब जब दुनिया को ठेंगे पर रखने के अभ्यस्त मौलाना लोग ना नुकुर करते-करते कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए हामी भरने लगे हैं तो कुछ लड़के ग़लती करने के लिए उपस्थित हो गए हैं। यथा अखिलेश यादव। इन अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव कभी बलात्कारियों के लिए कहते थे, लड़के हैं, गलती हो जाती है। अब इन को फांसी तो नहीं दे देंगे। अलग बात है अब ऐसी गलती करने वाले बलात्कारी लड़कों को फांसी दी जाने लगी है। बहरहाल इन्हीं मुलायम सिंह यादव को मौलाना मुलायम सिंह यादव भी कहा जाता रहा। हनुमान भक्त मुलायम को यह बुरा भी नहीं लगता था, क्यों कि मुस्लिम और यादव वोट बैंक के लिए वह कुछ भी तब सुनने और सहने के लिए सहर्ष तैयार रहते थे। अब चूंकि मुस्लिम वोट सपा से बिखरने लगे हैं तो अखिलेश यादव उन्हें बटोरने की गरज से उन्हों ने भाजपाई वैक्सीन बता कर कोरोना वैक्सीन लगवाने से इंकार करते हुए मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों की ज़िद भी बता दी है। बता दिया है कि जब उनकी सरकार बनेगी तो वह सबको फ्री में वैक्सीन लगवाएंगे। गुड है! उन की सरकार कब बनेगी यह तो जनता-जनार्दन ही जाने। बहरहाल अखिलेश ने अभी एक तर्क दिया है कि यह भाजपा के भ्रष्टाचार से बनी वैक्सीन है। गनीमत है उन्होंने अभी तक इसे कम्युनल वैक्सीन नहीं बताया है। हिंदू वैक्सीन नहीं बताया है। क्या पता कल को यह भी कह दें।
राहुल गांधी देश में अभी नहीं हैं, न उन का कोई ट्वीट अभी तक आया है। हो सकता है वह अखिलेश से भी आगे की कुछ बात बोल दें। ममता बनर्जी, वामपंथियों और ओवैसी जैसों के जहर का भी वैक्सीन के मैदाने जंग में इंतज़ार है। वैक्सीन भाजपाई, भ्रष्टाचारी, कम्युनल कुछ भी हो सकता है। आखिर जनता को महामूर्ख मानने की यह राजनीतिक रेस कहां जा कर ख़त्म होगी , कहना मुश्किल है। जनता ने इन जातीय और फासिस्ट पार्टियों को सिरे से खारिज कर दिया है, करती ही जा रही है पर भगवान इन को सन्मति जाने कब देगा। सच यह है कि मोदी के नित नए काम, नित नई उपलब्धियों से विपक्ष की नींद हराम है। हर काम का विरोध करते-करते जनता-जनार्दन से विपक्ष का गर्भ और नाल का रिश्ता पूरी तरह खत्म हो चुका है। विपक्ष अपनी ज़िद और सत्ता की हवस में इतना बौखला चुका है जनता की नब्ज, जनता की भावना को जानना और समझना ही नहीं चाहता। सच यह है कि मोदी के काम और उपलब्धियों से जनता सीधे जुड़ गई है।
दुनिया को मोदी का काम दिख रहा है। लेकिन हमारे बौखलाए विपक्ष को नहीं। वह तो गोदी मीडिया कह कर अपनी हताशा को कवर करने में ही आनंद महसूस करता है। शाहीन बाग़ से लगायत किसान आंदोलन तक कृत्रिम आंदोलन में विपक्ष अपनी सांस लेता है। जब कि जनता 370, सीएए, पाकिस्तान को नकेल डालने, चीन को लगाम लगाने, पक्का मकान, शौचालय, गैस कनेक्शन, चमकती सड़कों में देखती सांस लेती है और आस देखती है। विस्थापित मज़दूरों की असह्य पीड़ा को संभालने के साथ कोरोना को जिस तरह मोदी सरकार ने संभाला है, बीते मार्च से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, जनधन योजना में निर्बाध 500 रुपए, 6000 रुपए के किसान सम्मान निधि में देखती है। अब वैज्ञानिकों की अनथक मेहनत के नतीजे में मुफ्त कोरोना वैक्सीन की विराट सफलता सामने है। विपक्ष को यह सब हजम नहीं हो रहा। लेकिन क्या करें, आप जीडीपी आदि का तराना लाख गाते रहिए, पर ये पब्लिक है, सब जानती है।