नेपाल में इन दिनों राजनीतिक उठापटक जारी है। राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी (आरपीपी) ने नेपाल में संवैधानिक राजशाही तथा हिंदू राष्ट्र की बहाली के लिए शुक्रवार को काठमांडू में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन हजारों लोग शामिल हुए। पार्टी के सैकड़ों समर्थकों ने भृकुटि मंडप से मार्च शुरू कर रत्नापार्क के खुले मैदान में सभा की।
सभा के दौरान नेताओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद भंग किए जाने की आलोचना भी की। रैली को संबोधित करते हुए आरपीपी के अध्यक्ष कमल थापा तथा पशुपति शमशेर राणा ने नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने तथा देश में संवैधानिक राजशाही बहाल करने की मांग की। नेताओं ने कहा कि देश में लोकतंत्र की रक्षा तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए संवैधानिक राजशाही तथा हिंदू राष्ट्र की बहाली के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
बता दें कि 2006 के सफल जन आंदोलन के बाद राजशाही खत्म कर दी गई थी तथा 2008 में नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था।
गौरतलब है कि साल 2018 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी ने मिलकर एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी। इस पार्टी की नींव पड़ने में चीन की अहम भूमिका बताई गई थी। नेपाल की सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी पर चीन का गहरा प्रभाव है, इसलिए चीन नहीं चाहता कि पार्टी के भीतर फूट पड़े। हालांकि, पार्टी एक बार विभाजित होने के कगार पर पहुंच गई है। पार्टी में एक धड़ा प्रधानमंत्री ओली का है और दूसरा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड का है।